हवाई हमलों ने रोकी सीरिया में शांति की राह
सीरिया में शांति की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है। पांच साल से जारी गृहयुद्ध की समाप्ति के लिए जेनेवा में चल रही बातचीत स्थगित कर दी गई है।
जेनेवा। सीरिया में शांति की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है। पांच साल से जारी गृहयुद्ध की समाप्ति के लिए जेनेवा में चल रही बातचीत स्थगित कर दी गई है। अलेप्पो में सीरियाई सेना और रूस की ताजा कार्रवाई से पैदा हुए हालात ने संयुक्त राष्ट्र को यह फैसला लेने पर मजबूर किया है। अलेप्पो में हिंसा बढ़ने की आशंका से करीब 70 हजार लोग घर छोड़कर तुर्की भाग गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में जेनेवा में शांति वार्ता 29 जनवरी को शुरू हुई थी। विद्रोहियों के इसमें शामिल होने के फैसले के बाद से पूरी दुनिया की नजरें जेनेवा पर टिकी थी। पर अलेप्पो में हमले के बाद विद्रोहियों ने अपना रुख कड़ा कर लिया। इसके कारण बातचीत स्थगित करने का फैसला लेना पड़ा।
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत स्टीफन डे मिस्तुरा ने बताया कि वार्ता 25 फरवरी तक के लिए स्थगित की गई है। दोनों पक्षों में आपसी विश्र्वास नहीं बनने के कारण यह फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि सीरियाई सरकार और रूस के हवाई हमलों ने विपक्षी गुटों को वार्ता से दूर जाने का अवसर दे दिया है। अमेरिका ने बिगड़े हालात के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद और उनका समर्थक रूस इस मसले का सैन्य समाधान चाहते हैं।
इस बीच, सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी सना ने बताया है कि नुबोल और जाहरा से सेना ने विद्रोहियों को खदेड़ दिया है। वहीं, रूस के हवाई हमलों की मदद से सेना ने अलेप्पो को भी घेर लिया है।
विस्थापितों की मदद का वादा
लंदन। सीरिया में मानवीय संकट से जूझ रहे लोगों की मदद का कई यूरोपीय देशों ने भरोसा दिलाया है। लंदन में इस मसले पर हुए सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि बातचीत से ही सीरिया के संकट का समाधान संभव है। हिंसा से सीरिया के भीतर विस्थापित हुए साठ लाख और दूसरे देशों में भागे चालीस लाख लोगों के लिए मदद जुटाने के मकसद से यह आयोजन किया गया था।
ब्रिटेन, नॉर्वे और जर्मनी ने अगले दो सालों में इसके लिए पांच अरब डॉलर अतिरिक्त मदद का वादा किया है। ऑस्ट्रेलिया भी एक करोड़ 80 लाख डॉलर का मदद देगा। गौरतलब है कि सीरिया में 2011 के बाद से जारी हिंसा में ढाई लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। देश की आधी आबादी को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
सैनिकों को भेजने की गलती नहीं : हिलेरी
वाशिंगटन। अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि सीरिया और इराक में सैनिकों को भेजना भयावह गलती होगी। यदि वे राष्ट्रपति बनीं तो अमेरिकी बलों को इन युद्धग्रस्त देशों में नहीं भेजेंगी। हिलेरी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवारी की सबसे प्रबल दावेदार हैं।
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