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आइएस ने ली कैलिफोर्निया शूटआउट की जिम्मेदारी

कैलिफोर्निया में पाकिस्तानी मूल के दंपती द्वारा गोलीबारी को आतंकी संगठन आइएस ने अपने संगठन से जुड़ा हमला बताया है। अमेरिकी एजेंसी एफबीआइ भी इसे आतंकी हमले की कार्रवाई मान कर जांच कर रही है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2015 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2015 07:18 PM (IST)

कैलिफोर्निया। कैलिफोर्निया में पाकिस्तानी मूल के दंपती द्वारा गोलीबारी को आतंकी संगठन आइएस ने अपने संगठन से जुड़ा हमला बताया है। अमेरिकी एजेंसी एफबीआइ भी इसे आतंकी हमले की कार्रवाई मान कर जांच कर रही है।

गौरतलब है कि 2 दिसंबर को सैन बर्नार्डिनो में हमले में 14 लोग मारे गए थे।

आइएस के ऑनलाइन रेडियो अल बेयान ने शनिवार को दावा किया कि उसके दो समर्थकों ने इस हमले को अंजाम दिया। इसके अलावा आइएस के एक कमांडर जाजरावी दाएश ने ट्वीट कर कहा कि हमला करने वाले दंपती आइएस के विशेष एजेंट थे। उन्होंने अमेरिका द्वारा मुसलमानों पर बमबारी के विरोध में ये हत्याएं कीं।

यह जानकारी अमेरिकी गैर सरकारी संगठन आइपीटी ने दी।

उसने बताया कि नरसंहार की यह घटना उसी दिन हुई जब आइएस ने वाशिंगटन और न्यूयार्क पर हमले का वीडियो जारी किया था। जाजरावी ने ट्वीट में कहा कि आइएस ने अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन को चेताया था लेकिन उसने इसकी अनसुनी कर दी। आइएस के एक अन्य समर्थक ने हमलावर दंपती को शाबाशी दी और उन्हें शहीद बताया। दोनों हमलावर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।

इस बीच एफबीआइ ने कहा है कि हमलावर पाकिस्तानी महिला ताशफीन मलिक ने फेसबुक पर आइएस और उसके नेता अबू बकर बगदादी के प्रति निष्ठा जताई थी। एफबीआइ निदेशक जेम्स कोनी और अमेरिका के अटार्नी जनरल लॉरेटा ई. लिंच ने बताया कि अब तक की जांच में हत्यारों के चरमपंथी होने के संकेत मिले हैं और विदेशी आतंकी संगठनों से उनके प्रेरित होने की संभावना दिखती है।

एफबीआइ निदेशक ने यह भी कहा कि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि दोनों किसी बड़ी साजिश का हिस्सा थे या किसी आतंकी सेल के सदस्य। दंपती के पास से मिले इलेक्ट्रॉनिक सामान की जांच की जा रही है।

पढ़ें- बगदादी की वफादार थी कैलिफोर्निया में गोलीबारी करने वाली तशफीन

आइएस से जुड़ा हमला : थिंक टैंक

अमेरिकी थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वार (आइएसडब्ल्यू) के मुताबिक, यह आइएस और संभवत: अल कायदा से जुड़ा आतंकी हमला था।

उसने कहा कि अमेरिका में आइएस या अल कायदा से जुड़ा यह पहला हमला था जिसमें दक्ष शूटरों ने बंदूक और विस्फोटकों का इस्तेमाल किया। दोनों आतंकी संगठनों ने वही तकनीक अपनाई जो नवंबर 2008 में मुंबई हमले, सितंबर 2013 में केन्या के वेस्टगेट मॉल हमले, जनवरी 2015 में शार्ली अब्दो के दफ्तर पर हमले और इस साल 13 नवंबर को पेरिस में कई जगहों पर हमलों में अपनाई गई थी।


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