Move to Jagran APP

मोदी ने कहा- बिना भेदभाव, जल्‍द खत्‍म हो भारत-चीन सीमा विवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीन में सन् 2015 में भारत का वर्ष मनाया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि दूसरे देशों से संबंध चिंता का‍ विषय न बने। नेपाल में हम दोनों देशों ने मिलकर काम किया। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों के समान चुनौतियां और अवसर हैं।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 15 May 2015 10:37 AM (IST)Updated: Fri, 15 May 2015 09:32 PM (IST)
मोदी ने कहा- बिना भेदभाव, जल्‍द खत्‍म हो भारत-चीन सीमा विवाद

बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीन में सन् 2015 में भारत का वर्ष मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से संबंध चिंता का विषय न बने। नेपाल में हम दोनों देशों ने मिलकर काम किया। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों के समान चुनौतियां और अवसर हैं। मेेक इन इंडिया में पांच साल की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश के विकास में जमीन अधिग्रहण बाधा नहीं बनेगा।

loksabha election banner

शिंहुआ विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सीमा के झगड़े हमें विरासत में मिले हैं लेकिन इन्हें सुलझाने की जिम्मेदारी हमारी है। संयुक्त राष्ट्र में भारत का समर्थन चीन के साथ हमारे रिश्तों को बहुत आगे तक ले जाएगा। इसके मौके पर मोदी ने चीनी पर्यटकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीजा की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत चीन में योग कॉलेज खोलेगा।

पीएम ने कहा कि भारत की बड़ी जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की है। भारतीय युवा वैश्चिक कामगार बन सकते हैं। हम युवाओं के स्किल डेवलपमेंट पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन भारत के लिए बहुत कुछ कर सकता है। छात्रों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि लोकतंत्र, जनसंख्या और बाजार के बल पर हम विकास की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। व्यापार में अाने वाली व्यर्थ की बाधाअों को तेजी से दूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद हमारे लिए समान खतरा है।

आतंकवाद के नए चेहरे को पहचानना बेहद मुश्किल है। हमेें इस समस्या से खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने सीमा विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों को बिना पक्षपात के जल्द इसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

'अपने रिश्ते सुधार कर विश्व के सामने मिसाल कायम करें भारत-चीन'

मोदी ने कहा कि बीते दशकों में भारत और चीन के संबंध में बेहद जटिलता रही है। अब यह हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि हम अपने रिश्तों को सुधार कर विश्व के सामने एक मिसाल कायम करें।

भारत-चीन के बीच समझौतों के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अपनी सरकार के पहले ही साल में चीन आने से उन्हें बहुत खुशी मिली है। उन्होंने कहा कि शिआन हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

मोदी ने कहा कि हमने सीमा पर शांति पर जोर दिया है। चीन को उन मुद्दों पर अपना नजरिया बदलने पर जोर दिया है जो हमारी साझेदारी की ताकत को कमजोर कर रहे हैं।

मोदी ने कहा कि दोनों देश लंबे समय से लटके मुद्दों को सुलझाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। दोनों देश पर्यटन को बढ़ावा देंगे, जून के महीने से नाथुला के जरिए कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे।

मोदी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज, आतंकवाद और पश्चिम एशिया में हिंसा दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा किहमने अपनी आर्थिक साझेदारी के लिए भी ऊंचा लक्ष्य रखा है। मोदी ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता बढ़े।

केंद्र-राज्यों के बीच अच्छे संबंध जरूरी

मोदी ने कहा कि देश के विकास के लिए केंद्र और राज्यों के बीच अच्छे संबंध होने जरूरी है।

चीन के प्रांतीय नेताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि राज्य सरकारोंके साथ हम पार्टनरशिप की भावना के साथ काम करते हैं। राज्यों के अलग मुद्दे होते हैं और केंद्र सरकार उनसे कई मुद्दों पर सीख ले सकती है।

एलओसी पर सकारात्मक वार्ता

विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन के बीच एलओसी पर सकारात्मक बातचीत हुई है। सीमा से जुड़े मुद्दों पर बात आगे बढ़ी है।

मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पीओके में चीन का निवेश बढऩे पर भी बात हुई। बढ़ते आतंकवाद पर चीन ने भी अपनी चिंता जताई है।

उन्होंने बताया कि आर्थिक मुद्दों पर हाई लेवल टास्क फोर्स बनाई जाएगी और राज्यों के प्रमुखों व मुख्यमंत्रियों के दौरों में वृद्धि की जाएगी।

अंतिम समय में हुआ ई-वीजा पर फैसला

चीनी पर्यटकों को ई-वीजा सुविधा देने का गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों ने जमकर विरोध किया था। उन्होंने इसके दुरुपयोग की आशंका जताई थी। हालांकि विदेश और पर्यटन मंत्रालय इसके पक्ष में थे। ऐसे में चीन दौरे के पहले अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ दिया गया। मोदी ने अपने निर्णय की घोषणा शुक्रवार को बीजिंग में ही की। हालांकि सोशल मीडिया पर इस घोषणा की निंदा भी हो रही है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा जारी करने वाले चीन को ई-वीजा की सुविधा देना अनुचित है।

इस पर किए जा रहे हैं ये सवाल-

(1) क्या यह दोस्ताना संकेत है?

- सरकारी सूत्रों की मानें तो यह कदम चीन को सकारात्मक संदेश देने के लिए उठाया गया है।

(2) क्या विदेश मंत्रालय को मोदी के इस फैसले की जानकारी नहीं थी?

-अगर होती तो मोदी की घोषणा से पहले एक सवाल के जवाब में विदेश सचिव एस. जयशंकर यह नहीं कहते कि हम कई देशों के लिए ई-वीजा की सुविधा बढ़ा रहे हैं। जहां तक चीन की बात है, तो इस पर फैसला अभी नहीं हुआ है।

(3) क्या सुरक्षा एजेंसियों की चिंताओं को नजरअंदाज किया गया?

-सुरक्षा एजेंसियों ने चीनी नागरिकों के समय-समय पर देश में जासूसी करने को लेकर अपनी चिंताएं जताई थीं। इस मसले पर पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की बैठक भी बेनतीजा रही थी।

क्या है ई-वीजा

-दरअसल यह भारत के वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा देता है।

-इससे वीजा के लिए फीस भी ऑनलाइन जमा की जाती है।

-वीजा आवेदन मंजूर होने की सूचना ई-मेल से ही मिल जाती है।

-स्वीकृति वाले इस मेल के प्रिंट आउट से ही विदेशी भारत में घूम सकते हैं।

-भारत पहुंचते ही इस प्रिंटआउट को आव्रजन अधिकारी को दिखाना होगा।

-आव्रजन अधिकारी के इस पर मुहर लगाने के बाद ही भारत में घूमने की आजादी मिलेगी।

क्या है नत्थी वीजा?

दरअसल चीन अभी भी अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानता। इसलिए वह इन दो राज्यों के लोगों को भारतीय पासपोर्ट पर वीजा के बजाय अलग से नत्थी कर वीजा देता है।

मोदी इन चाइना: भारत और चीन के बीच हुए ये 24 समझौते

चीनी टीवी का भद्दा मजाक, भारतीय नक्शे से कश्मीर-अरुणाचल गायब


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.