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    हक्कानी को सता रहा हत्या का डर

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    Updated: Thu, 05 Jan 2012 01:41 AM (IST)

    गोपनीय पत्र विवाद को लेकर सुर्खियों में रहे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी को अपनी हत्या का डर सता रहा है। ब्रिटिश मीडिया में हक्कानी के हवाले से आई खबरों में कहा गया है कि अगर उन्होंने इस्लामाबाद स्थित प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी का सरकारी आवास छोड़ा तो उनकी हत्या की जा सकती है।

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    लंदन। गोपनीय पत्र विवाद को लेकर सुर्खियों में रहे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी को अपनी हत्या का डर सता रहा है। ब्रिटिश मीडिया में हक्कानी के हवाले से आई खबरों में कहा गया है कि अगर उन्होंने इस्लामाबाद स्थित प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी का सरकारी आवास छोड़ा तो उनकी हत्या की जा सकती है।

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    हक्कानी का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप पाकिस्तान के कुछ 'ताकतवर हलकों' की ओर से मुल्क की नागरिक सरकार के खिलाफ जारी 'मनोवैज्ञानिक जंग' का हिस्सा हैं। स्थानीय अखबार 'द डेली टेलीग्राफ' में हक्कानी के हवाले से कहा गया है, 'ताकतवर हलकों द्वारा मुझे गद्दार और अमेरिकी प्यादे के रूप में पेश किया जा है। मुझे डर है कि मेरे दिवंगत मित्र पंजाब के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर की तरह मेरी हत्या न कर दी जाए।' माना जा रहा है कि हक्कानी का इशारा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की ओर है।

    पिछले साल गोपनीय पत्र विवाद सामने आने के बाद हक्कानी को राजदूत पद से हटा दिया गया था। पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यवसायी मंसूर एजाज ने दावा किया था कि हक्कानी ने उनसे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के एक गोपनीय पत्र को अमेरिकी सरकार तक पहुंचाने के लिए संपर्क किया था। एजाज का कहना था कि एबटाबाद में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद जरदारी को डर था कि पाकिस्तान की सेना सत्ता अपने हाथ में ले सकती है। जरदारी ने इसी डर से पत्र के जरिये अमेरिका से मदद मांगी थी। बाद में हालांकि हक्कानी और जरदारी दोनों ने ही एजाज के दावे का खंडन किया था।

    अखबार के मुताबिक हक्कानी ने हत्या के डर से ही प्रधानमंत्री आवास में शरण ले रखी है। उन्हें आशंका है कि आइएसआइ गोपनीय पत्र विवाद में उन्हें गलत बयान देने पर मजबूर कर सकती है। मामले की जांच कर रही संसदीय समिति ने हक्कानी, एजाज और आइएसआइ प्रमुख शुजा पाशा को समन भेजे हैं।

    न्यायिक आयोग ने जरदारी को भेजा नोटिस

    इस्लामाबाद। गोपनीय पत्र विवाद की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अगली सुनवाई में उपस्थित होने का नोटिस भेजा है। सेना प्रमुख अशफाक परवेज कियानी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज [पीएमल-एन] के अध्यक्ष नवाज शरीफ को भी आयोग ने नोटिस जारी किए हैं।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग का कहना है कि इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किए जाएंगे। आयोग की पहली बैठक सोमवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के भवन में हुई थी। 'जियो टीवी' की एक रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की अगली बैठक 9 जनवरी को होगी। आइएसआइ प्रमुख शुजा पाशा, अमेरिका में पूर्व पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी, पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक मंसूर एजाज के अलावा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोंस को भी आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

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