दम हो तो हमला करे अमेरिका: हक्कानी
अमेरिका और पाकिस्तान की दोस्ती में दरार का कारण बना आतंकवादी दस्ता हक्कानी नेटवर्क पूरे घटनाक्रम से पूरी तरह बेखौफ है। नेटवर्क के प्रमुख खूंखार आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को इस बात का कोई खौफ नहीं है कि अमेरिका और पाकिस्तान में से कौन सा देश उसके या हक्कानी नेटवर्क के बारे में क्या सोच रहा है और भविष्य में कौन सी कार्रवाई करने जा रहा है।

इस्लामाबाद। अमेरिका और पाकिस्तान की दोस्ती में दरार का कारण बना आतंकवादी दस्ता हक्कानी नेटवर्क पूरे घटनाक्रम से पूरी तरह बेखौफ है। नेटवर्क के प्रमुख खूंखार आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को इस बात का कोई खौफ नहीं है कि अमेरिका और पाकिस्तान में से कौन सा देश उसके या हक्कानी नेटवर्क के बारे में क्या सोच रहा है और भविष्य में कौन सी कार्रवाई करने जा रहा है।
वजीरिस्तान स्थित अपने गुप्त ठिकाने से सैटेलाइट फोन पर सिराजुद्दीन हक्कानी ने रायटर से कहा कि अमेरिका में दम हो तो अफगानिस्तान की तरह उत्तरी वजीरिस्तान के हमारे ठिकाने पर हमला करे। बकौल हक्कानी, उसे अमेरिका के जमीनी हमले का इंतजार है। उसने तल्ख लहजे में चेताया, 'अगर अमेरिका ने हमला करने की हिमाकत की तो यहां [उत्तर वजीरिस्तान में] उसे अफगानिस्तान से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।' करीब 15 हजार खूंखार लड़ाकों के सरगना सिराजुद्दीन के अनुसार, वह अमेरिका को सबक सिखाने के लिए बेताब है।
मौजूदा समय में अमेरिका के दुश्मन नंबर एक संगठन के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी बेहद चालाक शख्स है। अमेरिकी ड्रोन हमले से बचने के लिए वह लाव-लश्कर के साथ चलने से परहेज करता है। इतना ही नहीं सिराजुद्दीन पगड़ी नहीं बांधता और बंदूक लेकर नहीं चलता। खुद उसका कहना है, 'मैं अपने हथियारबंद लड़ाकों के साथ गाड़ियों के काफिले में सफर करना पसंद नहीं करता। इसमें मारे जाने का खतरा है। पहाड़ी दुर्गम रास्तों के जरिए अफगानिस्तान से पाकिस्तान के बीच की दूरी मापना उसके बाएं हाथ का खेल है। हक्कानी नेटवर्क को सिराजुद्दीन के पिता मौलवी जलालुद्दीन हक्कानी ने 1980 के दशक में खड़ा किया था।
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