पूर्व प्रधानमंत्री गिलानी के बेटे का अपहरण
लाहौर। पाकिस्तान में आम चुनाव को लेकर सुरक्षा के वादे खोखले साबित हो रहे हैं। आम चुनाव से ठीक दो दिन पहले पंजाब प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बेटे अली हैदर को अगवा कर लिया। 27 वर्षीय हैदर लाहौर से 350 किमी दूर मुल्तान के माटी क्षेत्र में एक चुनावी रैली में भाग लेने जा रहे थे जब बंदूकधारियों ने उनकी एसयूवी गाड़ी को रोका और उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी।
लाहौर। पाकिस्तान में आम चुनाव को लेकर सुरक्षा के वादे खोखले साबित हो रहे हैं। आम चुनाव से ठीक दो दिन पहले पंजाब प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बेटे अली हैदर को अगवा कर लिया।
27 वर्षीय हैदर लाहौर से 350 किमी दूर मुल्तान के माटी क्षेत्र में एक चुनावी रैली में भाग लेने जा रहे थे जब बंदूकधारियों ने उनकी एसयूवी गाड़ी को रोका और उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी।
पूर्व प्रधानमंत्री के करीबी इफ्तिखार बलूच ने बताया कि कार और मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए बंदूकधारी हैदर को अपने साथ ले गए। गोलीबारी में हैदर के निजी सचिव मोहीउद्दीन की मौत हो गई जबकि उनके चार अंगरक्षक घायल हो गए। इससे पहले आई खबरों में कहा गया था कि हमले में उनका एक अंगरक्षक मारा गया है। हैदर अपने बड़े भाई अब्दुल कादिर के लिए प्रचार कर रहे थे। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी] के नेता गिलानी के चार बेटे और एक बेटी है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसने बंदूकधारी को हैदर को कार में बैठाकर ले जाते देखा था। वे दूर तक फायरिंग करते हुए गए। किसी भी संगठन ने अपहरण की जिम्मेदारी नहीं ली है। टीवी फुटेज में गिलानी के छोटे बेटे अली मूसा को रोते हुए दिखाया गया है। उन्होंने धमकी दी है कि अगर उनकेभाई को खोजा नहीं गया तो वह मुल्तान में चुनाव नहीं होने देंगे।
हैदर का पता लगाने की कोशिशों के तहत पंजाब पुलिस ने मुल्तान में प्रवेश के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक ने कहा कि अपहरण में तालिबान का हाथ होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। साथ ही घटना में उग्रवादियों का हाथ होने की आशंका से इन्कार भी नहीं किया।
इससे पहले गुरुवार को मुल्तान में प्रस्तावित चुनावी रैली को गिलानी ने धमकियों के चलते स्थगित कर दिया था। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान [टीटीपी] की धमकी के चलते उन्होंने पीपीपी की चुनावी रैलियों का नेतृत्व करने से भी इन्कार कर दिया था। टीटीपी ने उदारवादी पार्टियों जैसे पीपीपी और अवामी नेशनल पार्टी के कार्यकर्ताओं को 11 मई को आम चुनाव से पहले निशाना बनाने की धमकी दी है। धमकियों के चलते ही पार्टियों को अपना प्रचार रोकना पड़ा है।
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