याददाश्त बढ़ाने के लिए पीएं ग्रीन टी
तो फिर आप भी यह खबर प़़ढकर एक प्याला ग्रीन टी की चुस्कियां लेने की सोच ही लेंगे और वह भी तब जब आप ऑफिस में होंगे। जी हां, सुनने में अटपटा लग रहा है ना। मगर यह सच है कि स्विट्जरलैंड की बेसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ग्रीन टी में पाए जाने वाले अवयव कॉग्निटिव फंग्शन यानी संज्ञानात्मक कामों को बढ़ाते हैं खासत
लंदन। तो फिर आप भी यह खबर प़़ढकर एक प्याला ग्रीन टी की चुस्कियां लेने की सोच ही लेंगे और वह भी तब जब आप ऑफिस में होंगे। जी हां, सुनने में अटपटा लग रहा है ना। मगर यह सच है कि स्विट्जरलैंड की बेसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ग्रीन टी में पाए जाने वाले अवयव कॉग्निटिव फंग्शन यानी संज्ञानात्मक कामों को बढ़ाते हैं खासतौर पर वर्किंग मैमोरी को। इस स्विस निष्कषर्ष से डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारी के संज्ञानात्मक उपचार के लिए उम्मीद जागी है।
बेसल में साइक्रिएट्रिक यूनिवर्सिटी क्लीनिक के प्रोफेसर स्टीफन बोर्गवार्ट ने बताया कि हमारे अध्ययन से यह पता चलता है कि ग्रीन टी से दिमाग की सिनेप्टिक प्लास्टिसिटी में वृद्धि हो सकती है। नए अध्ययन में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ बेसल के प्रोफेसर क्रिस्टोफ बेगलिंगर और प्रोफेसर बोर्गवार्ट ने पाया कि ग्रीन टी के अवयवों से दिमाग की प्रभावी कनेक्टिविटी बढ़ जाती है। इसका अर्थ है कि दिमाग के एक क्षेत्र का प्रभाव दूसरे क्षेत्र पर ब़़ढ जाता है। कनेक्टिविटी के इस प्रभाव से वास्तविक संज्ञानात्मक प्रदर्शन में भी सुधार होता है। अध्ययन के लिए स्वस्थ पुरषष प्रतिभागियों को वर्किंग मैमोरी से जु़़डे कामों को करने से पहले ग्रीन टी के अवयवों वाला सॉफ्ट ड्रिंक दिया गया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने एमआरआई के जरिए इसका विश्लेषषण किया कि यह दिमाग की गतिविधियां कैसे प्रभावित करती है।
एमआरआई से दिमाग के पैरिटल और फ्रंटल कॉर्टेक्स के बीच बढ़ी हुई कनेक्टिविटी के बारे में पता चला। जर्नल 'साइकोफार्माकोलॉजी' में प्रकाशित लेख में कहा गया कि अब वैज्ञानिक इस पेय का इंसानी दिमाग पर होने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में अध्ययन कर रहे हैं।