ऐतिहासिक जनमत संग्रह से ब्रिटेन का EU से टूटा 40 वर्ष पुराना नाता
ब्रिटेन की जनता ने जनमत संग्रह के द्वारा ईयू से बाहर रहने के हक में ऐतिहासिक फैसला दिया है। इस फैसले का असर आज पूरी दुनिया के बाजारों पर साफतौर से देखा गया।
लंदन (रॉयटर)। ब्रिटेेन की जनता ने जनमत संग्रह के जरिए एेेतिहासिक फैसला कर यूरोपियन यूनियन से बना वर्षों पुराना नाता आज तोड़ लिया है। इस फैसले के समर्थन में जहां 51 फीसद से अधिक मत पड़े वहीं इस फैसले के खिलाफ करीब 48 फीसद मत गिरे। जो लोग ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने का समर्थन कर रहे थे उनके लिए आज का दिन किसी स्वतंत्रता दिवस से कम नहीं था। उनके लिए यह ब्रिटेेन की नई आजादी का समय था।
पाउंड में दर्ज हुई ऐतिहासिक गिरावट
लेकिन उनकी इस आजादी का असर विश्व भर के बाजारों में साफतौर पर दिखाई दिया। ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने की खबर के बाद पाउंड ने जबरदस्त गोता लगाया और 1985 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। यह उसके इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट थी। वहीं दुनिया के दूसरे बड़े बाजारों पर भी इसका प्रभाव साफतौर पर दिखाई दिया। भारतीय बाजारों में भी इसके चलते गिरावट दर्ज की गई। ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के फैसले से यूरोपियन कंपनियों के शेयराें में भी करीब आठ फीसद की गिरावट दर्ज गई। इमसें ब्रिटेन रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, बार्कले, लियोड बैंकिंग ग्रुप में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई।
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ईयू से अलग हुए ब्रिटेन को नहीं मिलेंगी यह सुविधाएं
ईयू से अलग होने के फैसले के बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कहा कि वह मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। इस फैसले के बाद ब्रिटेन की कंपनियां ऑटोमैटिक पासपोर्ट सेवा से वंचित हो जाएंगी। इसके चलते वह अपने सेवाओं को यूरोप में नहीं बेच सकेंगी। इसके अलावा ब्रिटेनवासियों के ईयू के किसी भी देश में घूमने पर भी पहले मिलने वाली छूट खत्म हो जाएंगी।
कैमरन के लिए सबसे बुरा दिन
ईयू से अलग होने का फैसला मौजूदा प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के लिए भी काफी दुखदायी रहा। इस फैसले के बाद उन्होंने साफ कर दिया कि वह अक्टूबर में नए नेता का चुनाव होनेे के बाद प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे देंगे। उन्होंने जनमत संग्रह होने से पहले तक जनता से ईयू में बने रहने के लिए जबरदस्त अपील की थी। लेकिन उनकी अपील इस बार काम नहीं आई। ब्रिटेन में इस मुद्दे पर हुए दूसरे जनमत संग्रह में उसकी जनता ने ईयू से आखिरकार नाता तोड़ लिया।
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देश को नए नेतृत्व की जरूरत: कैमरन
ईयू से अलग होने के फैसले के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि जनता ने अपना स्पष्ट फैसला ईयू से बाहर होने के लिए दिया है। इस फैसले के साथ ब्रिटेन की जनता ने दूसरी राह पर जाने को जो फैसला लिया है उस आधार पर मेरा मानना है कि अब देश को नए नेतृत्व की जरूरत है जो देश को उस दिशा में ले जा सके जिसके लिए फैसला किया गया है। उन्होंने साफतौर पर कहा कि वह इस फैसले को सही नहीं मानते हैं। उनका कहना था कि इस फैसले के बाद ब्रिटेन को विश्व में अपने लिए नए बाजार तलाशने होंगे।
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सभी जगह दिखाई देगा फैसले का असर
ईयू से बाहर होने के फैसले का असर ब्रिटेन को हर जगह दिखाई देगा। यह न सिर्फ व्यापार में बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी साफतौर पर दिखाई देगा। अभी तक ईयू में बने रहने से ब्रिटेन इन देशों में मुक्त व्यापार कर पाता था। ब्रिटेन का करीब 45 फीसद कारोबार ईयू में ही होता था। लेकिन अब इस बड़े बदलाव के बाद उसको अपने लिए न सिर्फ नए बाजार तलाशने होंगे बल्कि उनकी चुनौतियों से भी दो-चार होना होगा।
ब्रिटेन ईयू से अलग होने वाला पहला देश बना
यूरोपियन यूनियन बनने के बाद से ब्रिटेन पहला देश है जो इससे अलग हुआ है। ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के लिए चलाई गई मुहिम में सबसे जाना-माना चेहरा और नाम बोरिस जॉनसन का रहा है। वह लंदन के पूर्व मेयर भी रह चुके हैं। ब्रिटेन में हुए इस एतिहासिक जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन की इंडिपेंडेंस पार्टी के नेता नाइजल फराज ने कहा कि आज बेहद बड़ा दिन है। आज आम जनता की जीत हुई है।
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