सैन्य ढांचे के पुनर्गठन में जुटा चीन, क्या भारत है तैयार!
एक तरफ भारत जहां अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण सीमित बजट में कर रहा है। वहीं, चीन तेजी से अपनी सैन्य क्षमता को बढा़ने पर जोर दे रहा है। गुरुवार को चीन ने अपनी 23 लाख की संख्या वाली सेना के पुनर्गठन का ऐलान किया जिसकी संख्या भारत से दोगुनी है।
नई दिल्ली। एक तरफ भारत जहां अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण सीमित बजट में कर रहा है। वहीं, चीन तेजी से अपनी सैन्य क्षमता को बढा़ने पर जोर दे रहा है। गुरुवार को चीन ने अपनी 23 लाख की संख्या वाली सेना के पुनर्गठन का ऐलान किया जिसकी संख्या भारत से दोगुनी है। इस पुनर्गठन के बाद चीन की सैन्य क्षमता काफी चुस्त हो जाएगी और सरहद पार के किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम होगी।
सैन्य पुनर्गठन के बाद चीन की सेना के सभी अंग एक संयुक्त कमान के अंतर्गत होंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि साल 2020 तक सेना के पुनर्गठन का काम पूरा कर लिया जाएगा। चीन की आर्मी फिलहाल 7 सैन्य क्षेत्रों में विभक्त है जिसे घटाकर 4 सामरिक क्षेत्रों में बांटा जाएगा।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का ढांचा फिलहाल सोवियत यूनियन की तर्ज पर है जिसे आधुनिक रूप दिया जा रहा है। इस पुनर्गठन के बाद चीनी सेना अमेरिकी सेनाओं की तरह ही आधुनिक और एकीकृत हो जाएगी और त्वरित गति से कार्रवाई करने में सक्षम होंगी।
चीन के इस पुनर्गठन का भारत पर व्यापक असर होगा। अब तक भारत की चीन से लगती सीमाओं पर पूर्व में चेंगडू मिलिट्री क्षेत्र और उत्तर में लंझाऊ मिलिट्री क्षेत्र की चीनी सेनाएं तैनात थी। भारत और चीन के बीच 4,057 किलोमीटर का विवादित क्षेत्र है। लेकिन चीनी सेना के पुनर्गठन के बाद लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की सारी सीमाएं चीनी सेना एक कमांड के अंतर्गत आ जाएगी, जिसे पश्चिम जोन नाम दिया गया है।
भारत अभी तक अपनी सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर तालमेल कायम करने में नाकाम रहा है। युद्ध के दौरान आर्मी, नेवी और एयर फोर्स के बीच तालमेल की कमी के कारण भारत को त्वरित कार्रवाई में दिक्कतें आ सकती है। कारगिल युद्ध के दौरान भी सेना की अलग-अलग अंगों में तालमेल की कमी साफ दिखी थी। तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में मंत्रियों के समूह ने तीनों ही सेनाओं को मिलाकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का पद बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन तीनों ही सेनाओं के प्रमुख इस पर अमल को तैयार नहीं हुए और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
भारत में तीनों सेना के तालमेल वाली अब तक केवल दो कमान का गठन हो पाया है जो मुख्य रूप से परमाणु हथियारों के प्रयोग के लिए बना है। पहला अंडमान एंड निकोबार कमांड (एएनसी) जिसका गठन अक्टूबर 2001 में किया गया और दूसरा स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) जिसका गठन जनवरी 2003 में किया गया। चीन के इस कदम के बाद भारत के लिए भी अपनी सेनाओं के पुनर्गठन के बारे में विचार करने का वक्त आ गया है।