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महारानी का इन्कार, संकट में फंसी कैमरन सरकार

स्कॉटलैंड को आजादी मिले या नहीं, इसको लेकर होने वाले जनमत संग्रह को अब बस आठ दिन बचे हैं। स्वतंत्रता समर्थकों की तादाद बढ़ने से कैमरन सरकार मुश्किल में फंस गई है। सरकार की परेशानी बढ़ाते हुए महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इस मामले में दखलंदाजी से इन्कार कर दिया है। 1977 में ऐसे ही मुद्दे पर महारानी द्वारा ब्रिटिश संसद में

By Edited By: Published: Thu, 11 Sep 2014 05:46 AM (IST)Updated: Thu, 11 Sep 2014 05:46 AM (IST)

लंदन। स्कॉटलैंड को आजादी मिले या नहीं, इसको लेकर होने वाले जनमत संग्रह को अब बस आठ दिन बचे हैं। स्वतंत्रता समर्थकों की तादाद बढ़ने से कैमरन सरकार मुश्किल में फंस गई है। सरकार की परेशानी बढ़ाते हुए महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इस मामले में दखलंदाजी से इन्कार कर दिया है। 1977 में ऐसे ही मुद्दे पर महारानी द्वारा ब्रिटिश संसद में दिया गया संबोधन लोगों का मन बदलने वाला साबित हुआ था।

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बकिंघम पैलेस से निराशा हाथ लगने के बाद ब्रिटेन की तीनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं ने स्कॉटिश जनता को एकता के पक्ष में मनाने के लिए कमर कस ली है। स्कॉटलैंड जाने के लिए कंजरवेटिव पार्टी के नेता एवं प्रधानमंत्री डेविड कैमरन व विपक्षी लेबर पार्टी के प्रमुख एडवर्ड मिलिबैंड ने अपने सभी कार्यक्रम रद कर दिए हैं। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता व देश के उप प्रधानमंत्री निक क्लेग भी वहां प्रचार करेंगे। तीनों पार्टियों के नेता अलग-अलग कार्यक्रम कर लोगों को आजादी की मांग का समर्थन न करने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे।

इन नेताओं ने बुधवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि हमारे बीच बहुत से मुद्दों पर मतभेद हैं। लेकिन, यूनाइटेड किंगडम के लिए हम एक हैं। हम साथ ही अच्छे हैं।

प्रधानमंत्री कैमरन ने कहा कि हम अपने राष्ट्र को टूटता नहीं देख सकते। यदि यह टूटा तो फिर जोड़ा नहीं जा सकेगा। मैं स्कॉटिश जनता की सभी उम्मीदें पूरा करने का वादा करता हूं।

इन कोशिशों को पलीता लगाते हुए स्कॉटलैंड के फ‌र्स्ट मिनिस्टर एलेक्स सेलमंड ने कहा कि ये तीनों अब तक के सबसे अविश्वसनीय नेताओं में से एक हैं। इनके दौरे से यस वोट को और बढ़त मिलेगी।

इससे पहले बकिंघम पैलेस ने एक बयान में कहा कि इस राष्ट्र में संविधान को सर्वोच्च रखते हुए महारानी ने हमेशा प्रजातांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दिया है। राजपरिवार राजनीति से ऊपर है और आगे भी हम राजनीतिक मामलों में दखलंदाजी से बचेंगे। महारानी की ओर से यदि कुछ कहा गया तो लोगों की सोच प्रभावित होगी, इसलिए उन्होंने जनमत संग्रह को पूरी तरह से स्कॉटिश जनता की इच्छा पर छोड़ने का निर्णय लिया है।

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