NSG में भारत की एंट्री की संभावना धूमिल, अंतिम दौर की बातचीत समाप्त
सियोल में शीर्षस्तरीय बैठक खत्म हो चुकी है। 48 में से 47 देशों ने भारत को समर्थन देने की सहमति दी थी। लेकिन चीन ने नियम का हवाला देकर अपने इरादे साफ कर दिए
सियोल। सियोल में एनएसजी के मुद्दे पर शीर्ष स्तरीय बातचीत समाप्त हो चुकी है। औपचारिक तौर अभी सियोल बातचीत के परिणाम का इंतजार है। हालांकि एनएसजी में भारत की दावेदारी की संभावना नगण्य नजर आ रही है। इससे पहले भारत ने चीन को मनाने की बहुत कोशिश की थी। लेकिन चीन ने अपने इरादे को साफ कर दिया कि नियम-कानून एनएसजी के सदस्यों ने बनाए हैं, लिहाजा उन शर्तों का पालन होना चाहिए। एनएसजी के 48 देशों के समूह में से अब तक 47 देशों ने अपना समर्थन दिया था।
ताज़ा घटनाक्रम-
भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा कि 6 साल पहले राष्ट्रपति ओबामा ने भारत को समर्थन देने का वादा किया था। ये एक कूटनीतिक प्रक्रिया होती है। जिसमें जल्दबाजी नहीं की जा सकती है। हमें बहुत जल्दी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचना चाहिए।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि आज ब्राजील ने भारत के समर्थन की बात कही। ब्राजील ने कहा कि भारत का परमाणु रिकॉर्ड पाकिस्तान से बेहतर है।
सूत्रों के हवाले से ये खबर आई थी कि स्विट्जरलैंड ने भारत की दावेदारी का विरोध किया है। हालांकि पीएम मोदी की यात्रा के दौरान एनएसजी पर समर्थन देने का भरोसा दिया था।
चीन की तरफ से वैंग क्यून ने कहा कि एनएसजी में गैर एनपीटी देशों को शामिल करना एक मुद्दा है। एनएसजी में दावेदारी के लिए चीन न तो भारत का विरोध कर रहा है, न ही पाकिस्तान का। मौजूद हालात में भारत की दावेदारी का मसला लंबित ही रहेगा। चीन ने कहा कि एनएसजी में शामिल होने की पांच शर्तों में से पहली शर्त एनपीटी पर हस्ताक्षर करना है। इन शर्तों की चीन ने नहीं बनाया था बल्कि एनएसजी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से फैसला किया था।
अमेरिका ने क्या कहा-
अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा, "ये बिल्कुल साफ है कि भारत के आवेदन को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के अंदर लिया जाए इसके लेकर हम कितने गंभीरता से चाहते हैं। भारत और चीन के द्वैपक्षीय संबंध बेहतर देखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि चाहे दोनों के बीच कितनी ही दूरियां क्यों ना हो इस पर आपसी सहमति बने।"
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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सियोल में जापान ने भारत की सदस्यता का मुद्दा उठाया, लेकिन चीन ने उसका विरोध किया। देर रात डिनर के बाद हुई चर्चा में भी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका। चीन ने कहा है कि एनएसजी में विरोध के कारण भारत और चीन के द्विपक्षीय रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इससे पहले ताशकंद में मोदी से मुलाकात में जिनपिंग का रुख भारत के लिए सकारात्मक नजर आया। दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट तक अलग बातचीत हुई। बता दें कि मोदी और जिनपिंग गुरुवार को ही शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) की बैठक में शामिल होने ताशकंद पहुंचे थे।
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इससे पहले दिन में भी चीन ने मीटिंग में भारत की सदस्यता पर चर्चा का विरोध किया था। वहां मौजूद कूटनीतिज्ञों की कोशिश के बाद आखिरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सहमति बनी और निर्णय लिया गया कि गैर NPT वाले देशों की सदस्यता के राजनीतिक, कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की गई।
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