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यात्रियों की बढ़ी संख्या, कम पड़े वाहन

सासाराम । किसी भी क्षेत्र के विकास की आधारभूत संरचना में सुगम यातायात का महत्वपूर्ण स्थान है। रेल, ह

By Edited By: Published: Thu, 25 Jun 2015 10:08 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2015 10:08 PM (IST)

सासाराम । किसी भी क्षेत्र के विकास की आधारभूत संरचना में सुगम यातायात का महत्वपूर्ण स्थान है। रेल, हवाई व सड़क यातायात से उद्योग धंधे समेत रोजगार के अन्य अवसर पैदा होते हैं। हाल के वर्षो में वाहनों की संख्या भी बढ़ी, कई रेल गाड़ियों का ठहराव भी सुनिश्चित किया गया। लेकिन यात्रियों की बढ़ी संख्या के आगे यह काफी कम है। दो वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी ने यहां कम लागत का एयरपोर्ट बनाने की भी घोषणा की थी, जमीन की उपलब्धता नहीं होने से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।

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शहर की सड़कें हो या राष्ट्रीय अथवा राज्य उच्च पथ, हाल के वर्षो में इनकी सूरत तो कमोबेश बदली हैं, पर चकाचक सड़के अभी भी सपना है। यहां सड़कों पर कहीं दो साल से काम चल रहा है तो कहीं काम शुरू होने जा रहा है। ऐसे में वाहनों ने भी रफ्तार नहीं पकड़ा है। भाग-दौड़ व व्यस्ततम जीवन में सड़कों की दुर्दशा के कारण सफर करने वाले लोगों का इंधन व समय दोनों बरबाद होता है। लरजते वाहनों पर हिचकोले खाते सफर को मजबूर यात्रियों को बसों के ऊपर नीचे लदकर सफर करते देखा जा सकता है। सड़क बनते स्पीड ब्रेकर बनाने का हर गांव में शौक ने परेशानियों को और बढ़ा दिया है। लोगों का मानना है कि दुर्घटना से बचने के लिए इनकी आवश्यकता है। जबकि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब दुर्घटना के ये ही कारक बने हैं।

ग्रामीण सड़कों की सुस्त चाल : ग्रामीण सड़कें चकाचक नहीं होने से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। छोटी गाड़ियों पर यात्री हिचकोले खाते रहते हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें तो पत्थरों की कमी से कई सड़कों का निर्माण कार्य ठप है।

बसों की घोर कमी :

सड़कों पर बड़ी बसों की कमी ने यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी है। लंबी दूरी की बसों को छोड़ दें तो जिले के अंदर चलने वाली बड़ी बसों की संख्या दो दर्जन से भी कम है। मिनी बसों में यात्री ठूंस कर भरे जा रहे हैं।

राजधानी से लेकर कई गाड़ियों के ठहराव का इंतजार :

गया-मुगलसराय रेलखंड से होकर गुजरने वाली पूर्वा एक्सप्रेस, जयपुर-सियालदह, गांधी धाम, कोलकाता-अमृतसर एक्सप्रेस, हावड़ा-गोरखपुर, राजधानी एक्सप्रेस का ठहराव के अलावा धनबाद-डिहरी इंटरसिटी, पलामू एक्सप्रेस व डिहरी बरवाडीह तक चलने वाले सवारी ट्रेन के विस्तारीकरण की मांग काफी अर्से से की जा रही है। यात्रियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ने के बावजूद ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से रेल यात्रियों की परेशानी बढ़ रही है।

हजारों यात्री प्रतिदिन करते हैं यात्रा : स्थानीय रेलवे स्टेशन से औसतन प्रतिदिन 7 हजार से अधिक यात्री यात्रा करते हैं। सुविधाओं के अपग्रेडेशन के तहत स्टेशन पर बने 3 करोड़ 29 लाख से बने नए फुटब्रिज, 1.60 करोड़ की लागत से स्टेशन भवन का निर्माण किया गया है। स्टेशन पर भारी यात्री दबाव के बावजूद महज दो अनारक्षित काउंटर खुलते हैं। जिसके कारण आए दिन टिकट लेने के लिए आपाधापी मचती है। प्लेटफार्म पर लगा कोच इंडिकेटर सिस्टम भी महज शोभा की वस्तु बनकर रह गया है।

सामान्य डब्बों की घोर कमी : रेलगाड़ियों में सामान्य डब्बों की कमी ने निरापद व सुखद यात्रा पर पानी फेर दिया है। स्थिति यह कि यात्री खिड़की, दरवाजे पर लटक कर यात्रा करने को विवश हैं। शौचालय तक में यात्री खड़ा होकर यात्रा करते हैं।

आधी आबादी के लिए महज एक डब्बे : आधी आबादी के लिए रेलगाड़ियों में महज एक सामान्य डब्बे दिए गए हैं। जबकि यात्रा करने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 35 फीसद है। वहीं विकलांगों को भी एक बोगी के कुछ ही सीटों से संतोष करना पड़ता है।

नहीं बना हवाई अड्डा : जिले में दो वर्ष पूर्व हवाई अड्डा बनाने की घोषणा अब ठंडे बस्ते में है। प्रशासन जमीन की उपलब्धता नहीं होने की बात कह हाथ खड़ा कर दिया है। हालांकि इसके लिए कई जगहों पर जमीन देखा गया। डेहरी के समीप स्थित सुअरा हवाई अड्डा पर भी ग्रहण लगने से हवाई सफर अब यहां के लोगों के लिए सपना साबित हो रहा है।

जिले की मुख्य सड़कों की लंबाई

एनएच-2- 42 किलोमीटर

एनएच-2सी- 105 किलोमीटर (डिहरी से यदुनाथपुर)

स्टेट हाइवे- 216 किलोमीटर

पीडब्लूडी- 390 किलोमीटर

इसके अतिरिक्त ग्रामीण सड़कें

कहां है गतिरोध

- पब्लिक बसों की संख्या में कमी

- चकाचक सड़कों का अभाव

-रेल गाड़ियों में सामान्य डब्बों की घोर कमी

- कई ट्रेनों का ठहराव नहीं

- नई पैसेंजर ट्रेनों की भी घोषणा नहीं

- महिलाओं के लिए पर्याप्त अतिरिक्त कोच की व्यवस्था नहीं

सुझाव

- समय सीमा के अंदर सड़क व फ्लाई सड़क व फ्लाई ओवर निर्माण कार्य हो पूरा।

- शहर के पोस्ट आफिस चौक की परिधि बढ़ाई जाए।

पुरानी जीटी रोड फ्लाई ओवर का हो निर्माण

- रेल गाड़ियों में हो 50 फीसद सामान्य डब्बे


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