जानिए, क्यों पैरालिंपिक की स्वर्ण पदक विजेता चाहती हैं इच्छामृत्यु
एक पैराएथलीट रियो खेलों में अंतिम बार स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से उतरेंगी, क्योंकि इसके बाद वह अपना जीवन खत्म कर देगी।
रियो डि जेनेरियो। एक पैराएथलीट रियो खेलों में अंतिम बार स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से उतरेंगी, क्योंकि इसके बाद वह अपना जीवन खत्म कर देगी। बेल्जियम की मेरिके वेरवूर्ट ने स्पष्ट किया है कि 2016 पैरालिंपिक खेल उनका अंतिम टूर्नामेंट होगा क्योंकि वह कुछ दिन इस धरती पर अंतिम दिन मान रही हैं।
वेरवूर्ट को लाइलाज रीड की हड्डी की बीमारी है। लेकिन यह इतना गंभीर रूप ले चुकी है कि वह अब इच्छामृत्यु का विचार कर रही है, जो उनके देश में कानूनी तौर पर जायज है। बेल्जियम में वर्ष 2002 में इच्छामृत्यु को कानूनी तौर पर जायज करार दिया गया था, लेकिन इसके लिए तीन चिकित्सकों की लिखित अनुमति जरूरी है।
वेरवूर्ट ने इसका खुलासा फ्रांस के एक अखबार में रियो पैरालिंपिक खेलों के शुभारंभ से एक दिन पहले किया। 2012 लंदन पैरालिंपिक खेलों में 37 वर्षीय इस व्हीलचेयर एथलीट ने टी52 क्लास में 100 मी. रेस में स्वर्ण पदक जीता था और 200 मी. रेस में रजत पदक जीता था। वह इस बार भी इन्हीं स्पर्धाओं में पदक की उम्मीद कर रही हैं। लेकिन पैरालिंपिक खेल खत्म होने से पहले भी उनके लिए इससे भी बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा- मेरे पास इच्छामृत्यु ही अंतिम विकल्प है।
16 सालों से जूझ रही हैं
वेरवूर्ट को वर्ष 2000 में यह बीमारी हुई और धीरे-धीरे उनकी स्थिति खराब होती गई। 17 जुलाई को उन्होंने ऑन लाइन डायरी में लिखा सौभाग्य से आज मेरी रात अच्छी गुजरी, हालांकि 45 मिनट का समय मेरे लिए मुश्किल रहा।
रात को केवल 10 मिनट ही सो पाती हूं
फ्रांसिसी अखबार में उन्होंने "प्रतिदिन की जद्दोजहद का विस्तार से उल्लेख किया और कई बार तो उनका दर्द असहनीय हो जाता है। उन्होंने कहा- हर कोई मुझे स्वर्ण पदक के साथ मुस्कुराते हुए देखता है लेकिन कोई भी इसके पीछे के अंधेरे को नहीं देखता। मैं बहुत गंभीर स्थिति से गुजर रही हूं, कई बार तो रात को केवल 10 मिनट ही सो पाती हूं और इसके बावजूद स्वर्ण पदक जीतती हूं। लगातार अनिद्रा की वजह से वेरवूर्ट कभी भी बेहोश हो जाती हैं।