सरकार ने मोटर स्पोर्ट्स को दी खेल के रूप में मान्यता
सरकार ने मोटर स्पोर्ट्स को एक खेल के रूप में मान्यता देकर इसकी संचालन इकाई भारतीय मोटर स्पोर्ट्स क्लब महासंघ (एफएमएससीआइ) को खेल मंत्रालय से मान्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) की सूची में शामिल कर लिया। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब कर एवं नौकरशाही संबंधी बाधाओं की
नई दिल्ली। सरकार ने मोटर स्पोर्ट्स को एक खेल के रूप में मान्यता देकर इसकी संचालन इकाई भारतीय मोटर स्पोर्ट्स क्लब महासंघ (एफएमएससीआइ) को खेल मंत्रालय से मान्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) की सूची में शामिल कर लिया। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब कर एवं नौकरशाही संबंधी बाधाओं की वजह से ग्रां प्रि का आयोजन टलने के बाद देश में फॉर्मूला-1 वापस लाने की कोशिशें की जा रही हैं।
मंत्रालय ने खेल स्पर्धाओं की नवीनतम समीक्षा में मोटर स्पोर्ट्स को अपनी सूची में शामिल किया। हालांकि इसे अन्य वर्ग में शामिल किया गया, जिसका मतलब है कि एफएमएससीआइ को कोई वित्तीय मदद नहीं दी जाएगी। हालांकि एफएमएससीआइ को सरकार की मदद से एफ-1 इंडियन ग्रां प्रि को कोई फायदा नहीं पहुंचेगा, क्योंकि रेस वापस लाना मुख्य रूप से प्रमोटर जेपी समूह और उसके व्यवसायिक अधिकार धारक फॉर्मूला-1 मैनेजमेंट (एफओएम) का काम है।
एफएमएससीआइ के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में मद्रास मोटर स्पोर्ट्स क्लब का प्रतिनिधित्व करने वाले इसके सदस्य विकी चंडोक ने सालों के इंतजार के बाद सरकार द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत किया। चंडोक ने शुक्रवार को कहा, 'यह भारतीय मोटर स्पोर्ट्स के लिए अच्छा है। दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने एफएमएससीआइ की मान्यता कभी भी वापस नहीं ली थी। उसने केवल 2011 में संगठन को एनएसएफ की मान्यता प्राप्त सूची से हटा लिया और हमें दोबारा मान्यता दे दी है। मोटर स्पोर्ट्स की तरफ सरकारी की बेरुखी को लेकर बहुत ज्यादा आलोचना का कारण यह था कि उस समय फॉर्मूला-1 पहली बार (2011) भारत में आया था। भारतीय मोटर स्पोर्ट्स इतनी चर्चा में कभी नहीं रहा था।'
हालांकि सरकार मोटर स्पोर्ट्स गतिविधियों के लिए धन नहीं देगी, लेकिन एफएमएससीआइ की आठ सदस्यीय परिषद के वर्तमान सदस्य और पूर्व रेसर अकबर इब्राहिम ने कहा कि मंत्रालय से मान्यता मिलने के बहुत सारे फायदे होंगे। उन्होंने कहा, 'तीन हफ्ते पहले हमें खेल मंत्रालय से पत्र मिला कि वह अब एफएमएससीआइ को मान्यता देता है। महासंघ हमेशा मान्यता प्राप्त सदस्य था, लेकिन एनएसएफ का दर्जा लेने के लिए हमें मंत्रालय के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन करना पड़ा, जिनमें (पदाधिकारियों की) उम्र और कार्यकाल की सीमाओं से जुड़े प्रावधान शामिल हैं।'