दुनिया देखेगी कश्मीर की सात साल की मासूम की किक बॉक्सिंग
आतंक की मार झेल रहे इस इलाके की नन्ही तजामुल मजबूत हौसले के दम पर विश्व किक बॉक्सिंग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
बांदीपोर, प्रेट्र।कश्मीर के बांदीपोर की रहने वाली सात साल की तजामुल इस्लाम दिखने में जितनी मासूम हैं इरादे उतने ही सख्त। आतंक की मार झेल रहे इस इलाके की नन्ही तजामुल मजबूत हौसले के दम पर विश्व किक बॉक्सिंग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। ऐसा करने वाली वह पहली कश्मीरी लड़की होंगी।
सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी ये बच्ची बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है। किक बॉक्सर के साथ डॉक्टर बनने की ख्वाहिश सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लगता है। लेकिन तजामुल के पास इसका बेहतरीन जवाब है। वह कहती हैं, ‘मैं डॉक्टर इसलिए बनना चाहती हूं कि पहले मैं अपनी विरोधी को पटखनी दूंगी और फिर चोटिल होने पर उसका इलाज भी करूंगी।’
तजामुल दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुई नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप के सब जूनियर वर्ग में राष्ट्रीय विजेता बनीं। राष्ट्रीय स्तर पर मिली इस सफलता के दम पर तजामुल ने विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया। जो इटली के एंडिया में 14 से 19 नवंबर तक आयोजित होगी। तजामुल अब अपने गांव और स्कूल आर्मी गुडविल स्कूल में स्टार बन चुकी हैं। हालांकि उन्होंने किक बॉक्सर बनने का नहीं सोचा था। शुरू में वह वुशू और ताइक्वांडो का प्रशिक्षण ले रही थीं।
ऐसे हुई शुरुआत
2014 में एक स्थानीय अकादमी में तजामुल ने कुछ लड़के और लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेते देखा। उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह भी मार्शल आर्ट सीखना चाहती हैं। जिसके बाद अकादमी में उनका दाखिला हो गया। उनकी कड़ी मेहनत जल्द ही रंग लाई और वह जम्मू-कश्मीर की सर्वश्रेष्ठ फाइटर चुनी गईं। तजामुल की प्रतिभा को देखते हुए मुख्य कोच कुलदीप हांडू ने उनका मुकाबला उनसे आठ किलोग्राम ज्यादा भार वाली फाइटर से कराया। लेकिन तजामुल जो उस वक्त 25 किलोग्राम की थीं विजेता रहीं।
सबसे कम उम्र में जीता पदक
स्टेट चैंपियनशिप जीतने के बाद उनका चयन राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए हुआ। उनके सामने 13 साल की फाइटर थी। लेकिन तजामुल ने महज 15 मिनट में विरोधी को पस्त कर सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया।
भाई और बहन भी सीख रहे हैं किक बॉक्सिंग
तजामुल का एक भाई और दो बहनें भी किक बॉक्सिंग सीखते हैं। स्कूल की प्रिसिंपल शबनम कौसर कहती हैं ‘किक बॉक्सिंग उनके जीन में है। सभी चैंपियन हैं। लेकिन तजामुल सबसे अलग है। वह खेल के अलावा पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में भी काफी अच्छी है। वह डांस भी अच्छा करती है।’ तजामुल की पसंदीदा फिल्म स्पाइडरमैन है।
सेना कर रही मदद
तजामुल को नवंबर का बेसब्री से इंतजार है। लेकिन एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले तजामुल के पिता के लिए इवेंट की फीस, किट और अन्य खर्चे वहन कर पाना संभव नहीं है। हालांकि उसके सपने को साकार करने में सेना उसकी मदद कर रही है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए भी सेना ने तजामुल की मदद की है। सेना के एक स्थानीय अधिकारी ने कहा, ‘तजामुल और उसके पिता के पासपोर्ट तैयार कराने की प्रक्रिया पूरी करवाई जा रही है।’मुझे खुशी है कि मैं जीती और मैं इटली जा रहीं हूं। मेरी पापा से फोन पर बात हुई। उन्होंने कहा कि वह मुझे घर पहुंचने पर पार्टी देंगे और मेरी पसंदीदा बिरयानी भी बनेगी। मैं अपने परिवार और स्कूल के लिए विश्व चैंपियनशिप में जीतना चाहती हूं। थोड़ा डर जरूर है, लेकिन मुझे पता है कि मैं सबको हरा दूंगी।