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भारतीय हॉकी में कोचों की दशा कठपुतली जैसी: ब्रासा

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच जोस ब्रासा ने विदेशी कोचों की विवादित विदाई के लिए आजादी के अभाव और अधिकारियों की दखल को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अच्छे कोच हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के हाथ की कठपुतली बनकर काम नहीं कर सकते।

By ShivamEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2015 09:21 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2015 09:27 PM (IST)
भारतीय हॉकी में कोचों की दशा कठपुतली जैसी: ब्रासा

नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच जोस ब्रासा ने विदेशी कोचों की विवादित विदाई के लिए आजादी के अभाव और अधिकारियों की दखल को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अच्छे कोच हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के हाथ की कठपुतली बनकर काम नहीं कर सकते।

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इस स्पेनिश कोच ने डच कोच पॉल वेन ऐस की बर्खास्तगी पर मैड्रिड से कहा, 'हॉकी इंडिया कई कोचों को बर्खास्त कर चुका है और याद कीजिए भारत में मुझसे पहले रिक चा‌र्ल्सवर्थ भी इसी तरह निकाले गए थे, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कोच हैं। यहां समस्या आजादी के अभाव की है।'

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उन्होंने कहा, 'हॉकी इंडिया और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) शुरुआत में आपको काफी सब्जबाग दिखाते हैं और वादा करते हैं कि आपको खिलाडि़यों के चयन की आजादी होगी, लेकिन एक बार करार कर लेने पर यदि वे आपके चुने खिलाडि़यों से खुश नहीं हैं तो दखल देना शुरूकर देते हैं। भारत में वही कोच लंबा टिक सकता है जो कठपुतली बनने को राजी हो। अच्छे विदेशी कोचों को यह मंजूर नहीं होगा और यही वजह है कि आखिर में हम सभी को हटा दिया गया। समस्या यह नहीं है कि कोच अपने काम को बखूबी अंजाम देने की कोशिश नहीं करते, बल्कि समस्या वह व्यक्तिहै, जो कोचों को कठपुतली बनाकर रखना चाहता है और उसे हटाना जरूरी है।'

वेन एस से पहले ब्रासा, माइकल नोब्स और टैरी वाल्श को भी विवादित ढंग से पद से हटाया गया। ब्रासा ने कहा, 'भारतीय हॉकी प्रशासकों के साथ काम करना बहुत मुश्किल है। यदि आप उनकी आज्ञा का पालन करते हैं तो सब कुछ ठीक चलता रहेगा, लेकिन उनको रास नहीं आने वाली कोई बात करने पर वे आपको गुलाम समझने लगते हैं। हॉकी इंडिया और साइ से मेरा पहला विवाद खिलाडि़यों की हड़ताल के दौरान हुआ। उन्होंने मेरी तनख्वाह नहीं दी और राष्ट्रीय टीम के लिए दोस्ताना तथा अभ्यास मैचों की तैयारी बंद करा दी। हॉकी इंडिया और साइ के साथ मेरा अनुभव जीवन का सबसे खराब अनुभव रहा।'

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उन्होंने कहा कि भारत में मेरा सबसे अच्छा समय खिलाडि़यों के साथ बीता। भारतीय खिलाड़ी काफी प्रतिभाशाली हैं और उनकी प्रतिबद्धता किसी भी कोच को खुश कर सकती है। यह पूछने पर कि भारतीय हॉकी के लिए विदेशी कोच अच्छा रहेगा या भारतीय, उन्होंने कहा, 'भारतीय हॉकी टीम के ईद गिर्द काफी राजनीति और निहित स्वार्थ हैं, लिहाजा दमदार विदेशी कोच बेहतर होगा। भारतीय कोच के लिए इनसे निपटना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। भारतीय टीम किसी भी स्तर पर पदक जीत सकती है, लेकिन बत्रा जैसे खेल प्रशासक अपनी बदमिजाजी के चलते भारत को इस मौके से वंचित कर रहे हैं। भारत के पास सरदार सिंह जैसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, जो किसी भी स्तर पर पदक जीत सकते हैं। भारत के पास इस बार ओलंपिक की तैयारी का लंबा समय था, लेकिन बत्रा इस तरह के बर्ताव के चलते उनसे पदक जीतने का मौका छीन रहे हैं।'


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