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खिलाड़ियों के हाथ होनी चाहिए खेल संघों की बागडोर

सुप्रीम क ोर्ट ने हॉकी के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा है कि खेल संघों की बागडोर नेताओं और कारोबारियों के हाथों में रहने से खेलों का बहुत नुकसान हुआ है। खेलों की बागडोर खिलाड़ियों के हाथ होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की अगुआई करने के

By Edited By: Published: Fri, 06 Dec 2013 06:20 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2013 06:37 AM (IST)
खिलाड़ियों के हाथ होनी चाहिए खेल संघों की बागडोर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम क ोर्ट ने हॉकी के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा है कि खेल संघों की बागडोर नेताओं और कारोबारियों के हाथों में रहने से खेलों का बहुत नुकसान हुआ है। खेलों की बागडोर खिलाड़ियों के हाथ होनी चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की अगुआई करने के लिए हॉकी इंडिया और इंडियन हॉकी फेडरेशन (आइएचएफ) के बीच चल रहे विवाद की सुनवाई के दौरान की। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि खेलों के संबंध में ये बहुत दुखद स्थिति है कि जो लोग खेल संघों का प्रशासन देख रहे हैं उनका खेल से कोई लेना देना ही नहीं है। वे खेल संघों को खेलों की कीमत पर चला रहे हैं। क्या निजी हितों के लिए खेलों को बंधक रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यही कारण है कि हॉकी का स्तर इतना गिर गया है कि स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी आज ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए संघर्ष कर रही है।

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पीठ ने फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल हॉकी (एफआइएच) की कार्यवाही पर रोक लगाने की आइएचएफ की मांग पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार देश में खेलों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है और लोग खेल नियंत्रित करने के लिए मुकदमेबाजी कर रहे हैं जिसमें संघों का झगड़ा इस मुकाम तक पहुंच गया है। पीठ ने कहा कि क्या कोई ऐसा खेल संघ है जो मुकदमेबाजी में न उलझा हो। क्या किसी और देश में खेलों पर नियंत्रण को लेकर इस तरह मुकदमेबाजी होती है जैसी यहां होती है। पीठ ने आइएचएफ की ओर से पेश वकील यूयू ललित से पूछा कि उनके संघ का मुखिया कौन है। कारोबारी है? क्या उनके संघ में कोई ओलंपिक विजेता है। हालांकि कोर्ट ने आइएचएफ की रोक अर्जी पर नोटिस जारी कर हॉकी इंडिया से जवाब मांगा है। आइएचएफ ने एफआइएच की उस कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है, जो यह तय करने वाली है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कौन भारत की अगुआई करेगा।

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