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भूपति ने किया खुलासा, कैसे आपसी मतभेद के कारण ओलंपिक में भारत का हुआ बंटाधार

महेश भूपति ने खुलासा किया है कि आखिर ओलंपिक टेनिस के पुरुष डबल्स में दिग्गज खिलाड़ियों के होने के बावजूद क्यों भारत पस्त हो गया।

By ShivamEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 08:52 PM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2016 12:37 PM (IST)
भूपति ने किया खुलासा, कैसे आपसी मतभेद के कारण ओलंपिक में भारत का हुआ बंटाधार

मुंबई। टेनिस में कभी लिएंडर पेस केे साथ मिलकर विरोधी डबल्स टीमों को पस्त करने वाले महेश भूपति ने खुलासा किया है कि आखिर ओलंपिक टेनिस के पुरुष डबल्स में दिग्गज खिलाड़ियों के होने के बावजूद क्यों भारत पस्त हो गया। भूपति ने सीधे तौर पर न सही लेकिन अपने खुलासे से ये साफ जरूर कर दिया कि लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना के बीच मतभेद ओलंपिक में भारत को भारी पड़ गया।

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भूपति का खुलासा

दरअसल, भूपति का कहना है कि पेस और बोपन्ना की जोड़ी़ की प्रतिभा और अनुभव को देखें तो भारत का एक मेडल पक्का था लेकिन इन दोनों खिलाड़ियों ने न साथ में अभ्यास किया और न एकजुट होकर खेले। यही वजह रही कि डबल्स में ये जोड़ी पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गई। भूपति ने कहा, 'डबल्स (पुरुष) टीम जाहिर तौर पर तैयार नहीं दिखी, कोई अभ्यास नहीं किया गया। उन्होने न साथ अभ्यास किया और न ही कुछ अभ्यास मैच साथ में खेले। 2004 और 2008 के ओलंपिक से पहले मैं और लिएंडर टूर पर साथ में नहीं खेल रहे थे लेकिन ओलंपिक करीब आने पर हमने साथ में मिलकर अभ्यास किया था और साथ खेले भी थे। ओलंपिक की यही मांग होती है। सिर्फ कोरिया की डेविस कप टीम के खिलाफ एक मैच खेलना ओलंपिक जैसे आयोजन का अभ्यास नहीं होता है।'

ओलंपिक से ठीक पहलेे हुआ था विवाद

गौरतलब है कि ओलंपिक से ठीक पहले ही लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना को लेकर विवाद खड़ा हो चुका था। दरअसल, भारतीय टेनिस फेडरेशन के पास पुरुष डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में एक-एक जोड़ी भेजने की इजाजत थी। नियमों के मुताबिक सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाला खिलाड़ी अपना जोड़ीदार चुनता है ऐसे में रोहन बोपन्ना इस बार पेस से रैंकिंग में आगे थे तो ये फैसला उन पर छोड़ दिया गया। बोपन्ना ने सभी को चौंकाते हुए छह ओलंपिक के अनुभव वाले इन फॉर्म खिलाड़ी लिएंडर पेस को न चुनकर युवा खिलाड़ी साकेत मायनेनी को चुन लिया। इसको लेकर काफी बहस और विवाद हुए जिसके बाद फेडरेशन ने हस्तक्षेप करते हुए पेेस को ही बोपन्ना का जोड़ीदार बना दिया। जबरदस्ती लिया गया ये फैसला ओलंपिक में भारत को काफी भारी पड़ा क्योंकि पेस और बोपन्ना के बीच मतभेद की दीवार खिंच चुकी थी और डबल्स में अगर दो खिलाड़ियों के बीच तालमेल न हो तो जीतना मुमकिन नहीं होता।

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