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बोलसोनारो की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में गर्माहट आने की उम्मीद

India-Brazil Relationship बोल्सोनारो की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी के लिए एक कार्ययोजना शुरू हो रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 12:47 PM (IST)
बोलसोनारो की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में गर्माहट आने की उम्मीद

[विजय कपूर]। India-Brazil Relationship: भारत की 71वीं गणतंत्र दिवस परेड में इस बार विशेष अतिथि होंगे ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस खास समारोह में शामिल होने का आमंत्रण नवंबर में ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान दिया था। वैसे कोई ब्राजीलियन राष्ट्रपति भारत की गणतंत्र दिवस परेड का तीसरी बार मुख्य अतिथि होगा, पर राष्ट्रपति बोल्सोनारो के लिए यह इसलिए खास है, क्योंकि राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद वह पहली आधिकारिक विदेश यात्रा कर रहे हैं।

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बोलसोनारो की इस भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में गर्माहट आने की उम्मीद तो है ही, दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते भी बेहतर होंगे। भारत और ब्राजील के बीच आपसी व्यापार की व्यापक संभावनाएं हैं। ब्राजील के राजदूत आंद्रे अरान्हा कोरया डो लागो ने कहा है कि दोनों देशों के पास एक दूसरे से बहुत कुछ लेने और देने की संभावनाएं हैं, दोनों ही बहुत तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाएं हैं, बस दोनों के बीच अंतर सिर्फ इतना है कि ब्राजील के पास भारत जितने उपभोक्ता नहीं हैं, पर ब्राजील के पास अपार संसाधन हैं। दोनों देश ऊर्जा, कृषि और रक्षा के क्षेत्र में एक दूसरे को बहुत कुछ दे सकते हैं।

ब्राजील के राजदूत ने कहा है कि दोनों देश सामरिक भागीदारी को और अधिक गतिशील बनाना चाहते हैं। भारत और ब्राजील के संबंध पहले से बेहतर हुए हैं। दोनों देशों के बीच 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार 8.2 अरब डॉलर का रहा, जो पिछले वर्ष के मुकाबले सात प्रतिशत ज्यादा था। इस व्यापार में 3.8 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात रहा और 4.4 अरब डॉलर का भारत ने आयात किया। भारत ने जहां ब्राजील को एग्रो-केमिकल, सिंथेटिक यार्न, ऑटो पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स, पेट्रोलियम प्रोडक्ट का व्यापक निर्यात किया है, वहीं ब्राजील से कच्चा तेल, खाद्य तेल, चीनी और खनिजों का बड़े पैमाने पर आयात किया है।

भारतीय कंपनियों ने इस दौरान करीब छह बिलियन डॉलर का निवेश ब्राजील में किया है। हालांकि ब्राजील द्वारा भारत में किया गया निवेश इसकी तुलना में काफी कम है। लेकिन यह निकट भविष्य बढ़ेगा ऐसी उम्मीद है। ब्राजील दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश है। यहां की जनसंख्या लगभग 21 करोड़ है। ब्राजील किसी समय पुर्तगाल का गुलाम था जिससे उसे सात सितंबर 1822 को मुक्ति मिली। ब्राजील का संविधान वर्ष 1825 में बना। यह देश दुनिया की कुल आवश्यकता का 20 प्रतिशत ऑक्सीजन अपने अमेजन के जंगलों में पैदा करता है।

दक्षिणी अमेरिका का ब्राजील पहला देश है जो ओलंपिक खेलों की मेजबानी कर चुका है। ब्राजील ने अब तक खेले गए 20 विश्व कप फुटबॉल में से सबसे ज्यादा पांच बार फुटबॉल विश्व कप जीता है। बोल्सोनारो की यात्रा के दौरान भारत-ब्राजील संबंधों में निखार आने की खूब संभावनाएं हैं। बोल्सोनारो से पहले 1996 में राष्ट्रपति फरनांडो हेनरिक कारडोसोर और 2004 में राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डि सिल्वा भी गणतंत्र दिवस में बतौर मुख्य अतिथि समारोह की शोभा बढ़ा चुके हैं, लेकिन यह 2016 के बाद पहला मौका है जब ब्राजील का कोई राष्ट्रपति भारत दौरे पर आ रहा है।

इससे पहले वर्ष 2016 में ब्राजील के तत्कालीन राष्ट्रपति मिशेल तेमर भारत के दौरे पर आए थे। जहां तक भारत और ब्राजील के बीच कूटनीतिक संबंधों की बात करें तो 1948 में ये स्थापित हुए थे। इसी दौरान भारत ने ब्राजील की राजधानी रियो द जेनेरियो में अपना दूतावास खोला था। अगस्त 1971 में इस दूतावास को ब्रासिलिया में ट्रांसफर कर दिया गया था। भारत और ब्राजील के बीच रिश्तों की शुरुआत पांच शताब्दी पहले 1500 में हुई थी। इसकी शुरुआत सेबरल ने की थी, उन्होंने ही ब्राजील की खोज की थी। वास्तव में जब भारत की खोज के बाद वास्को डी गामा वापस पुर्तगाल गया और भारत के बारे में बताया तो वहां के राजा ने सेबरल को भारत भेजा था। वैसे यह भी सही है कि अतीत में दोनों देशों के बीच रिश्ते हमेशा अच्छे ही नहीं रहे।

शीतयुद्ध के दौरान हमारे आपसी रिश्ते बहुत ठंडे भी रहे हैं। गोवा की आजादी और इसके भारत में शामिल किए जाने को लेकर ये रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। इसकी बड़ी वजह यह थी कि ब्राजील गोवा में पुर्तगाल की मौजूदगी को सही बताता था। इसके पीछे उसके पुर्तगाल से ऐतिहासिक रिश्ते थे। ब्राजील मानता था कि भारत ने वहां पर सैन्य कार्रवाई कर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है, लेकिन वक्त के साथ दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधर गए।

हालांकि बीच में एक बार यह तब फिर बिगड़ा जब ब्राजील 2009 में पाकिस्तान को 100 एमएआर-1 एंटी रेडिएशन मिसाइल बेच रहा था। भारत ने इस पर आपत्ति जाहिर की थी, लेकिन ब्राजील ने इस सौदे को अंतिम रूप दे डाला था। यह मिसाइल लड़ाकू विमानों की मौजूदगी का पता लगाकर उन पर तुरंत हमला करने में सक्षम है। दरअसल भारत का कहना था कि पाकिस्तान एक आतंकी देश है, जहां आतंकियों को ट्रेनिंग देकर दूसरी जगहों पर हमला करने के लिए भेजा जाता है। 

लिहाजा इस तरह की मिसाइल पाकिस्तान को बेचना ठीक नहीं है। बहरहाल आज हमारे पास दुनिया का बेस्ट मिसाइल सिस्टम है, इसलिए अब यह कोई बहस का विषय ही नहीं है। आज की तारीख में दोनों देशों के बीच रिश्ते लोकतांत्रिक मूल्यों और कॉमन ग्लोबल विजन पर आधारित हैं, जिनके भविष्य में लगातार बेहतर होने की उम्मीद है।

[वरिष्ठ पत्रकार]


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