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चीन और गधों में ये है संबंधः लाखों की तादाद में गधों को खरीदता है चीन

चीन को हर साल 40 लाख गधों की जरूरत होती है और इस जरूरत को पूरा करने के लिए चीन गधों को दूसरे देशों से खरीदता है अब बात ये है कि आखिर चीन इतने सारे गधों का करता क्या है। उसको क्यों जरूरत पड़ती है गधों की।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 03 Oct 2016 01:53 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2016 03:11 PM (IST)
चीन और गधों में ये है संबंधः लाखों की तादाद में गधों को खरीदता है चीन

आप खबर की हेडलाइंन पढ़कर हैरान हो गए होंगे, लेकिन आपको बता दें कि खबर बिल्कुल सच्ची है। चीन भारी तादाद में अफ्रीका से गधे खरीद रहा है। चीन हर साल अफ्रीका से लाखों गधे इम्पोर्ट करता है। आप सोच रहे हैं कि आखिर चीन इन गधों से कर ता क्या होगा? हम आप को बताते हैं इसके पीछे की वजह।

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चीन को हर साल 40 लाख गधों की जरूरत पड़ती है। इतनी बड़ी तादाद को वो अकेला नहीं पूरा कर पाता, इसके लिए उसे गधे को अफ्रीका से इसे इम्पोर्ट करना पड़ता है। अधिकतर इंपोर्ट अफ्रीका के नाइजर और बुर्कीना फासो से होता है।

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सीएनएन की खबर के मुताबिक चीन अफ्रीका के अलग-अलग इलाके से गधे मंगवाता है। इन गंधों का इस्तेमाल चीन दवाईयां बनाने में करता है।

दवाई के लिए गधों का इस्तेमाल

दरअसल चीन गधों की खाल से एक पारंपरिक दवाई ईजिओ बनाता है। इस दवाई का नाम टीसीएम है। इसे बनाने में गधे की खाल से निकलने वाली गिलेटिन का इस्तेमाल होता है। चीन में इस दवाई की भारी मांग है। चीन इस मांग को देखते हुए हर साल करीब 5 हजार टन टीसीएम बनाता है।

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इस दवाई का इस्तेमाल चीन में सर्दी जुकाम, एनिमिया और अनिद्रा जैसी बीमारियों के लिए होता है। इस के साथ-साथ इसका इस्तेमाल फेसक्रीम और एंटी एडिंग के तौर पर होता है।

रिश्ते में खटास

गधे के लिए होने वाले इस व्यापार में धीरे-धीरे खटास आ रही है। अफ्रीका इस व्यापार से नाखुश है। अफ्रीका में गधों की तादाद में कमी की वजह से अब वो चीन को मांग से कम गधे इम्पोर्ट कर रहा है।

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