हम नहीं हैं आदमखोर, हमें बाहर निकालो'
'हम आदमखोर नहीं हैं, नहीं हैं, नहीं हैं। कितनी बार कहें। कुदरत ने हमें बाघिन की कोख से पैदा किया है तो जंगल में ही रहेंगे न, बाघ हैं तो घास खाएंगे नहीं। मैंने आदमियों को खाया, ये किसने कहा तुमसे? अब तो तुमने मेरी जांच भी करवा ली, बिसरा
संजय कुमार शर्मा उमरिया(मध्यप्रदेश)। 'हम आदमखोर नहीं हैं, नहीं हैं, नहीं हैं। कितनी बार कहें। कुदरत ने हमें बाघिन की कोख से पैदा किया है तो जंगल में ही रहेंगे न, बाघ हैं तो घास खाएंगे नहीं। मैंने आदमियों को खाया, ये किसने कहा तुमसे? अब तो तुमने मेरी जांच भी करवा ली, बिसरा की रिपोर्ट भी आ गई, फिर भी रिहा नहीं कर रहे हो। बेकसूर होने के बाद भी हमें इस तरह की जेल में क्यों बंद कर रखा है?
धोखे से एक मनुष्य पर मैंने हमला कर दिया था, सुना है कि वह शिक्षक था और बच्चों को पढ़ाता था। हम उसके घर कहां गए थे, वही हमारे घर आया था। गांव-शहर में रहने वाला अगर जंगल में आकर बैठेगा तो गलती होना मुमकिन है। हम लोग बाघ हैं, मनुष्य नहीं कि अदालत में जाकर अपने को बेगुनाह साबित करें। हमें हमारा जंगल दे दो।'
यह दर्द है उन दो युवा बाघों का, जो आदमखोर होने के आरोप में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बहेरहा इंक्लोजर (बाड़ा) में बंद हैं। दोनों पर 7 महीने पहले यह इल्जाम लगा था। हुआ यह कि 23 अक्टूबर 2014 को बांधवगढ़ के खितौली रेंज में शिक्षक आमोस लाकड़ा पर एक बाघ ने हमला कर दिया। शिक्षक जंगल में शौच के लिए गया था। हमले में उसकी मौत हो गई।
इसके बाद गांव वालों ने रेंज ऑफिस और कर्मचारियों के क्वार्टर में आग लगा दी। भोपाल से आदेश आया और बाघों को पकड़ लिया गया। दोनों को 28 अक्टूबर को बाड़े में डाल दिया। विसरा के नमूने की जांच हुई। रिपोर्ट में आया कि बाघ आदमखोर नहीं हैं। उन्होंने कभी भी किसी इंसान का मांस नहीं खाया और न ही कभी किसी गांव में घुसकर किसी व्यक्ति को उठाया।
इसके बाद भी उन्हें छोड़ा नहीं जा रहा है। गंभीर आरोप के चलते सतपुड़ा पार्क प्रबंधन इन्हें अपने यहां लेने में अनाकानी कर रहा है। बांधवगढ़ में छोड़ा नहीं जा सकता, क्योंकि यहीं पर दोनों बाघों ने एक शिक्षक पर हमला किया था। पार्क प्रबंधन को डर है कि बाघों को यहां छोड़ने पर गांव वाले बवाल न खड़ा कर दें।
बाघ भ्रम में करते हैं इंसान पर हमला
बाघ अगर आदमखोर नहीं है तो वह सीधे इंसान पर हमला नहीं करता। आदमी जब जंगल में झुककर काम करता है तो बाघ को यह भ्रम हो जाता है कि वह चौपाया है, इसलिए वह उसपर हमला बोल देता है। दोनों युवा बाघों के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। वे अगर आदमखोर होते तो शिक्षक को मारने के बाद खा जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिक्षक जंगल में शौच कर रहा था, इसलिए बाघ को भ्रम हुआ। -नरेंद्र बगड़िया, वन्यजीव विशेषज्ञ
किए जाएंगे रिलीज इंक्लोजर में बंद
दोनों बाघ अन्य बाघों की तरह सामान्य हैं। समय आने पर इन्हें किसी अन्य जंगल में रिलीज कर दिया जाएगा। नरेन्द्र कुमार, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ भोपाल
[साभार: नई दुनिया]