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बिखरे कुनबे को समेटने में जुटे केजरीवाल

आम आदमी पार्टी [आप] की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक मानने और मनाने के बीच समाप्त हो गई। हालांकि 'ई मेल' से शुरू हुई लड़ाई का अंत 'फेसबुक' पर हुआ। पार्टी नेताओं के बीच 'ई मेल' से बेमेल हुए माहौल में अरविंद केजरीवाल ने झुकने के संकेत देते हुए पार्टी बचाने की पहल की।

By Edited By: Published: Sat, 07 Jun 2014 02:07 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jun 2014 07:30 AM (IST)
बिखरे कुनबे को समेटने में जुटे केजरीवाल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम आदमी पार्टी [आप] की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक मानने और मनाने के बीच समाप्त हो गई। हालांकि 'ई मेल' से शुरू हुई लड़ाई का अंत 'फेसबुक' पर हुआ। पार्टी नेताओं के बीच 'ई मेल' से बेमेल हुए माहौल में अरविंद केजरीवाल ने झुकने के संकेत देते हुए पार्टी बचाने की पहल की।

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कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन अरविंद ने टूटते कुनबे को बचाने के लिए मतभेदों को ठंडे बस्ते में डालने के संकेत दिए। बैठक के बाद फेसबुक पर अरविंद ने लिखा कि 'योगेंद्र यादव जी मेरे बहुत अच्छे सहयोगी और मित्र हैं। बैठक में उन्होंने कई गंभीर मुद्दे उठाए जिस पर पार्टी को विचार करने की आवश्यकता है।'

अरविंद ने योगेंद्र को करीबी और महत्वपूर्ण सहयोगी बताया तो आप के मुख्य प्रवक्ता योगेंद्र ने भी अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने विवाद को साफ करते हुए कहा कि 'मेरा इस्तीफा नवीन जयहिंद की वजह से नहीं था।' जबकि अरविंद ने पार्टी से नाराज होकर नाता तोड़ चुकीं शाजिया इल्मी की वापसी के लिए कोशिश करने की बात कही। इससे पहले इस नवगठित पार्टी में नेताओं की आपसी लड़ाई शुक्रवार को कार्यकारिणी की बैठक से पहले योगेंद्र यादव और मनीष सिसोदिया की चिट्ठी लीक हो जाने से खुलकर सामने आ गई थी। इसके बाद कहा जा रहा था कि योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। हालांकि पार्टी में अभी भी सबकुछ सामान्य नही है।

सूत्रों के मुताबिक योगेंद्र अकेले पड़ गए हैं और पार्टी में उनकी स्थिति भी कुमार विश्वास जैसी हो गई है। शुक्रवार को आठ घंटे तक चली बैठक में आरोप-प्रत्यारोप के दौर से खीझकर कुमार विश्वास बैठक छोड़ के चले गए थे। विश्वास शनिवार को भी बैठक में नही आए। हालांकि पार्टी ने लोकतंत्र की दुहाई देते हुए सफाई दी थी कि 'अलग-अलग राय अपराध नहीं है और इससे पार्टी में लोकतंत्र प्रदर्शित होता है।'

इससे पहले नाराज शाजिया इल्मी को वापस लाने के लिए अरविंद ने प्रस्ताव रखा और उनको मनाने की जिम्मेदारी पहले नाराज चल रहीं अंजलि दमानिया को दी गई है। गौरतलब है कि दमानिया भी पार्टी से इस्तीफा दे चुकी थीं, लेकिन बाद में मान गईं थी। आप नेता संजय सिंह ने कहा कि अगर शाजिया पार्टी में वापस आती हैं, तो यह बड़ी खुशी की बात होगी। बैठक के बाद प्रशांत भूषण ने पत्रकारों से कहा कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए। हम सभी अपनी पार्टी में सुधार लाना चाहते हैं।

पढ़ें: क्या होगा आप का? योगेंद्र यादव के आरोपों पर भी आज होगी चर्चा


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