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'ट्रेन की छत पर सफर करने वाले रेलयात्री नहीं'

गुजरात हाई कोर्ट ने माना है कि रेल की छत पर बैठकर यात्रा करने वाले को रेलयात्री नहीं माना जा सकता। इसलिए वह किसी भी तरह के कानूनी मुआवजे का भी हकदार नहीं हो सकता।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 08:16 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 08:30 AM (IST)
'ट्रेन की छत पर सफर करने वाले रेलयात्री नहीं'

जागरण संवाददाता, अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने माना है कि रेल की छत पर बैठकर यात्रा करने वाले को रेलयात्री नहीं माना जा सकता। इसलिए वह किसी भी तरह के कानूनी मुआवजे का भी हकदार नहीं हो सकता। करीब 16 साल पुराने दुर्घटना के एक मामले में अदालत ने रेलवे टिब्यूनल के फैसले को जायज बताया है।

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गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश एनवी अंजारिया ने कहा कि रेलवे कोच के भीतर बैठकर यात्रा करने वाले को ही रेलयात्री के अधिकार प्राप्त हैं, रेलवे कोच की छत पर बैठकर सफर करने वाले को रेलयात्री नहीं माना जा सकता इसलिए वह रेलवे कानून के मुताबिक मुआवजे का भी हकदार नहीं हो सकता।

वर्ष 1998 में ट्रेन की छत पर बैठकर यात्रा कर रहे एक युवक विवेक दुबे की सूरत के ऊधना स्टेशन पर करंट लगने से मौत हो गई थी। उसके पिता ने रेलवे के समक्ष मुआवजे का दावा करते हुए कहा था कि उनके बेटे ने अधिकृत टिकट लिया हुआ था, उसकी मौत रेलवे के परिक्षेत्र में दुर्घटना से हुई है इसलिए चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

रेलवे टिब्यूनल ने रेलवे एक्ट की धारा 156 व धारा 124 ए के मुताबिक विवेक को रेल यात्री मानने से इंकार कर दिया था। रेलवे नियमों के मुताबिक अधिकृत टिकट लेकर कोच के भीतर बैठकर यात्रा करने वाले को ही रेलयात्री माना जा सकता है, हाईकोर्ट ने टिब्यूनल के फैसले को जायज ठहराते हुए पीड़ित को मुआवजे देने से साफ इंकार कर दिया।

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