क्या है सिंधु समझौता, पढ़ें भारत-पाकिस्तान के बीच इसकी अहमियत
इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। यही नहीं दोनों देशों के मध्य 1960 में हुए सिंधु जल समझौता को लेकर भारत ने पाकिस्तान को चेताया है।
नई दिल्ली,आईएएनएस । 18 सितंबर को सीमा पार से पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। यही नहीं दोनों देशों के मध्य 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को लेकर भारत ने पाकिस्तान को चेताया है। आखिर सिंधु समझौता क्या है, इसके बार में हम आपको बताते हैं।
क्या है सिंधु समझौता
सिंधु जल समझौता भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच 19 सितंबर,1960 में कराची में हुआ था। इसके तहत सिंधु नदी के जल को साझा करने का समझौता हुआ था। यही नहीं इस संधि के तहत छह नदियों के पानी के बंटवारे और साझा प्रयोग को इसमें शामिल किया गया था।ये नदियां ब्यास, रवि, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम हैं। यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ था। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस समझौते की जरुरत क्यों पड़ी। चूंकि सिंधु बेसिन की नदियों का स्त्रोत भारत में था (सिंधु और सतलज का मूल स्त्रोत चीन में है ), नियमों के तहत भारत इनके जल का उपयोग सिंचाई, परिवहन, बिजली उत्पादन में करता है। पाकिस्तान को हमेशा यह डर सताता है कि युद्ध की स्थिति में भारत इस समझौते को रद कर इनका पानी रोक सकता है।
उड़ी हमले के बाद 3 युवकों ने दिल्ली में लगाए 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे
ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए स्थाई सिंधु आयोग का गठन किया गया, इस दौरान दोनों देशों के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं। इस समझौते से भारत को तीन नदियों के जल को बिना किसी प्रतिबंध के प्रयोग करने की इजाजत मिली थी। ये तीन नदिया ब्यास, रवि और सतलज थी। पाकिस्तान को इसके तहत तीन पश्चिमी नदियों के जल प्रयोग की इजाजत मिली, ये नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब हैं। साथ ही भारत को इन नदियों के 36 लाख एकड़ फीट तक जल भंडारण की सुविधा दी गई। हालांकि इसकी जरुरत अबतक नहीं पड़ी। साथ ही सात लाख एकड़ फीट तक पानी सिंचाई के लिए उपयोग करने की इजाजत थी।
विवाद क्या है
दोनों देश अबतक बिना किसी बड़े विवाद के नदियों के जल का प्रयोग समझौते के तहत करते आ रहे हैं।हालांकि पाकिस्तान ने इस साल जुलाई में भारत द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं के विकास को लेकर सवाल उठाए हैं। वर्तमान हालातों से दोनों देशों के बीच इस संधि पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विशषज्ञों का मानना है कि अगला युद्ध पानी को लेकर लड़ा जाएगा। इस बीच सवाल ये है कि क्या भारत इस संधि को तोड़ेगा ? हालांकि तीन युद्धों के बाद भी यह समझौता बिना किसी रुकावट के जारी है।
उड़ी हमले के बाद दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण हैं। गुरुवार को भारत ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि ये समझौता दोनों देशों के बीच आपसी सहमति और विश्वास के आधार पर है। जल बंटवारे को लेकर भारत पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है। इसका संकेत लगातार मिल रहा है। भारत इस समझौते को रद करने के लिए कोई भी कदम उठाएगा, जिसका सीधा असर विश्व समुदाय पर पड़ेगा।