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वृंदावन में बनेगा विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर

भगवान श्रीकृष्ण और राधा के आध्यात्मिक प्रेम की गवाह ब्रजभूमि में आसमान छूता चंद्रोदय मंदिर बनेगा। इसका शिखर कुतुबमीनार से तीन गुना यानी 700 फीट [212 मीटर] ऊंचा होगा। 400 करोड़ की लागत से बनने वाले विश्व के इस सबसे ऊंचे देवालय में श्रीकृष्ण, राधारानी के साथ विहार करेंगे। 16 मार्च को इसकी आधारशिला र

By Edited By: Published: Tue, 04 Mar 2014 06:07 AM (IST)Updated: Tue, 04 Mar 2014 07:46 AM (IST)

जागरण संवाददाता, वृंदावन। भगवान श्रीकृष्ण और राधा के आध्यात्मिक प्रेम की गवाह ब्रजभूमि में आसमान छूता चंद्रोदय मंदिर बनेगा। इसका शिखर कुतुबमीनार से तीन गुना यानी 700 फीट [212 मीटर] ऊंचा होगा। 400 करोड़ की लागत से बनने वाले विश्व के इस सबसे ऊंचे देवालय में श्रीकृष्ण, राधारानी के साथ विहार करेंगे। 16 मार्च को इसकी आधारशिला रखी जाएगी। इस अवसर पर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री के आने की संभावना है। मंदिर की परिकल्पना इस्कॉन के अनुयायी बाबा मधुदास ने की है।

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वृंदावन में छटीकरा मार्ग पर अक्षयपात्र में चंद्रोदय मंदिर का निर्माण किया जाना है। इसके लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से 16 मार्च को भूमि पूजन का खाका बना लिया गया है। आध्यात्म के इस अद्भुत मंदिर में पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक, गोलोक और ऊपर दर्शक गैलरी बनाई जाएगी। श्रद्धालु इनके दर्शन आठ लिफ्ट की मदद से कर सकेंगे। खजुराहो और आधुनिक शैली के मिले-जुले रूप में बनने वाले इस मंदिर का इंटीरियर डिजायन विदेशी शिल्पकारों को सौंपा गया है। मंदिर 60 एकड़ भूमि में बनेगा। इसका आधारभूत ढांचा चार एकड़ में होगा। पहले चरण में 150 करोड़ खर्च का अनुमान है। इसके बाद 70 मंजिलों के निर्माण व साज-सज्जा पर 250 करोड़ रुपये और व्यय होंगे।

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कल-कल बहेगी यमुना, ब्रज के 12 वन

चंद्रोदय मंदिर परिसर के चारों ओर कल-कल यमुना बहती दिखाई देगी। जिसके किनारे खड़े होकर श्रद्धालु यमुना पूजन का लाभ ले सकेंगे। मंदिर के चारों ओर ब्रजमंडल के 12 वन स्थापित किए जाएंगे। जिससे पूरे ब्रज का दर्शन एक ही स्थान से कर सकेंगे। मंदिर मार्ग में वेलकम प्लाजा शॉपिंग मॉल, फूड कोर्ट के अलावा 500 कमरों का गेस्टहाउस भी बनेगा। इसमें ठहरने वाले श्रद्धालुओं को पांच सितारा सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। मंदिर के निकट ही माधव कुटीर में 100 डुप्लेक्स निर्माण कराए जाएंगे। ये मंदिर निर्माण में सहयोग करने वाले श्रद्धालुओं को आजीवन निवास करने के लिए दिए जाएंगे।

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