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भारत लौटनेे को तैयार विजय माल्या, सरकार के सामने रखी ये शर्तें

बैंकों का हजारों करोड़ रुपये का लोन नहीं चुकाने के मामले में डिफॉल्टर घोषित हो चुके उद्योगपति विजय माल्या ने कुछ शर्तों के साथ भारत लौटने की इच्छा जताई है।

By kishor joshiEdited By: Published: Mon, 16 May 2016 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 16 May 2016 04:05 PM (IST)
भारत लौटनेे को तैयार विजय माल्या, सरकार के सामने रखी ये शर्तें

मुबंई। बैंकों के हजारों करोड़ का लोन नहीं चुकाने के मामले में डिफॉल्टर घोषित हुो चुके माल्या ने कहा है कि वह भारत आना चाहते हैं बशर्ते उनकी सुरक्षा और आजादी का सरकार को पूरा भरोसा देना होगा। शनिवार को यूबीएल की बोर्ड मीटिंग हुई थी जिसकी अध्यक्षता वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए खुद विजय माल्या ने की।

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इस बैठक में शामिल हुए निदेशकों के अनुसार माल्या पर बकाया ऋण चुकाने के लिए बैंकों का दवाब लगातार बढ़ता जा रहै है और ऐसे में माल्या ने कहा है कि उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक को समझौते का नया ऑफर दिया है और उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में बात आगे बढ़ेगी। यहां तक की प्रवर्तन निदेशालय भी ब्रिटेन से माल्या का प्रत्यपर्ण चाहता है जहां वो पिछले दो महीने से रह रहे हैं। शनिवार को मुबंई में हुई बोर्ड मीटिंग में शामिल निदेशकों ने अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाईम्स को बताया कि यूबीएल के चैयरमैन को बोर्ड और स्ट्रैटेजिक पार्टनर हेनेकेन सा सपोर्ट है।

इंडिपेंडेट बोर्ड मेंबर किसन मजूमदार ने बताया, "हमने कई मुद्दे उनके सामने रखे और माल्या ने हमें भरोसा दिलाया कि लोन चुकाने को लेकर उनकी बैंकों के साथ गहन बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि वो सभी प्रश्नों का जवाब देने के लिए भारत लौटना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा और आजादी का भरोसा दिया जाए।" मजूमदार ने कहा, "कंपनी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है और कॉरपोरेट गवर्नेंस कोई मुद्दा नहीं है इसका असर केवल माल्या पर पडेगा।"

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आपको बता दे कि माल्या पर इस समय बैंको का 9000 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है और मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय उनसे पूछताछ करना चाहता है। बोर्ड के ही एक इंडिपेंडेट मेंबर सुनील अलघ ने बताया, " माल्या बैंको के साथ गंभीरता से बात कर रहे हैं। माल्या ने हमसे कहा कि उन पर लगाए जा रहे आरोप गलत हैं और उनका इरादा लोन चुकाने का है। बोर्ड अभी भी माल्या के समर्थन में है और वह इसे कॉरपोरेट गवर्नेंस का मुद्दा नहीं मान रहा है। अगस्त में होने वाली बोर्ड की अगली बैठक में इस मामले पर चर्चा की जाएगी।"

ऐसी भी आशंकाए जताई जा रही थी हेनेकेन, यूबीएल समूह पर अपना आधिपत्य चाहता है और उसने माल्या से चैयरमैन का पद छोड़ने को कह दिया है। हेनेकेन ने 2008 में यूबीएल समूह से 37.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी और तब से अब तक यह बढ़कर 42.4 फीसदी हो गई है। इस डच बियर कंपनी ने खुले बाजार से शेयरों की खरीददारी के लिए एक निवेश बैंक जेएम फाईनेंस की भी नियुक्ति की थी और अभी तक वह इस पर 179 करोड़ रुपये खर्च चुकी है।

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