Move to Jagran APP

उत्तराखंड के इस लाल ने अमेरिका में जीता 3.4 करोड़ का अवार्ड

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा के लाल डॉ. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में कमाल कर दिया। लांग-लास्टिंग बैटरी बनाने के लिए उनकी कंपनी ने 76वेस्ट अवार्ड और 5 लाख डॉलर जीता।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 01:36 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2016 06:45 AM (IST)

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के लाल ने सात समंदर पार ना केवल उत्तराखंड का नाम रोशन किया, बल्कि भारत का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया। हम बात कर रहे हैं 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता के विजेता वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती की। उन्होंने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो 20 से 22 घंटे का बैकअप देती है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
डॉ. शैलेश उप्रेती का जन्म 25 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) में पिता रेवाधर उप्रेती और माता चंद्रकला उप्रेती के घर हुआ। शैलेश बचपन से ही होनहार थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी स्कूल मनान से की। पिता रेवाधर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी थे तो घर में पढ़ाई का महौल रहा। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े शैलेश ने वर्ष 1992 में जीआइसी बागेश्वर से हाईस्कूल किया। वर्ष 1994 में जीआइसी भगतोला (अल्मोड़ा) से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की।

loksabha election banner

PICS: इस भारतीय ने अमेरिका में जीते 3.4 करोड़

एमएससी में जीता गोल्ड मैडल
शैलेश ने वर्ष 1997 में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के अल्मोड़ा कैंपस से बीएससी की। इस दौरान उन्होंने सीडीएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अल्मोड़ा कैंपस से ही रसायन विज्ञान से एमएससी की। उन्होंने एमएससी में गोल्ड मैडल जीता।



दिल्ली से अमेरिका का सफर
शैलेश के मन में कुछ करने का जज्बा पहले से ही था। एमएससी के बाद उन्होंने नेट परीक्षा में जेआरएफ पास किया। वर्ष 2001 में उनका चयन पीएचडी के लिए दिल्ली के आइआइटी में हुआ। यहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वह बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर भी रहे। पीएचडी के दौरान उनके कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुए। वर्ष 2007 में उनका चयन अमेरिका के स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में हुआ। पढ़ाई के दौरान वह एमटेक के क्लास भी लेते थे।

पढ़ें-लाचारी छोड़कर हौसले ने जगाया विश्वास, हारे मुश्किल भरे हालात
अमेरिका में किया कमाल
शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती ने बताया कि दाज्यू (बड़ा भाई) ने 2013 में अमेरिका में बैटरी बनाने वाली चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) बिंगमटन न्यूयार्क कंपनी की स्थापना की। उन्होंने 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली लांग-लास्टिंग बैटरी बनाई। बता दें कि लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।

पढ़ें-नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
5 लाख डॉलर (करीब 3.4 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता
न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था।

पढ़ें-महिलाओं के जीवन को 'अर्थ' दे रही उत्तराखंड की पुष्पा
संस्कृति से लगाव
डॉ शैलेश को अपनी संस्कृति से भी विशेष लगाव रहा है। डॉ शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती बताते हैं कि उन्हें गाने का शौक रहा है। उनके पहाड़ी गाने की दो कैसेट भी रिलीज हो चुकी है। इतना ही नहीं वह पहाड़ी वाद्य यंत्र भी बजाते हैं। हुड़का (पहाड़ी वाद्य यंत्र) बजाने में उन्हें महारथ हासिल है। शैलेश का विवाह बिंदिया उप्रेती से हुआ। उनकी डेढ़ साल की बेटी मायरा है।

पढ़ें:-समंदर पार गूंजेगी उत्तराखंड के करन की आवाज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.