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उत्तराखंड आपदा पर कांग्रेस-भाजपा के बीच छिड़ी साइबर जंग

उत्तराखंड में आपदा राहत का पहला चरण निपटते ही सियासी सैलाब नजर आने लगा है। कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीति गरमा गई है। दोनों ही दलों ने सीधे किसी पर हमला करने के बजाय एक-दूसरे के खिलाफ साइबर युद्ध छेड़ दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 02 Jul 2013 06:24 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2013 06:25 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तराखंड में आपदा राहत का पहला चरण निपटते ही सियासी सैलाब नजर आने लगा है। कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीति गरमा गई है। दोनों ही दलों ने सीधे किसी पर हमला करने के बजाय एक-दूसरे के खिलाफ साइबर युद्ध छेड़ दिया है। सोशल साइट ट्विटर पर सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी के हमले के बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने उनका जवाब तो दिया ही, साथ ही आपदा प्रबंधन में राज्य व केंद्र सरकार को असफल बताते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का इस्तीफा भी मांग लिया।

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सोमवार को इस जंग की शुरुआत की सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने। उन्होंने संसद के दोनों सदनों के प्रतिपक्ष के नेताओं सुषमा स्वराज और अरुण जेटली पर उनके उत्तराखंड न जाने को लेकर ट्विटर पर कटाक्ष किया। साथ ही, कहा कि यह पार्टी सिर्फ कांग्रेस नेताओं के दौरे की आलोचना करती रही है। जेटली की तरफ से उठाए गए सवालों की तरफ इशारा करते हुए तिवारी ने ट्वीट किया कि विपक्ष के नेता सीबीआइ की स्वायत्तता पर प्रस्तावों की आलोचना कर सकते हैं, जिसे अभी सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाना है, लेकिन उनके पास उत्तराखंड के दौरे का समय नहीं है।

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सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर ही तुरंत पलटवार किया। उन्होंने लिखा कि गृह मंत्री के निर्देश के कारण ही वह उत्तराखंड नहीं जा सकीं। उन्होंने कहा, 'मैंने 18 जून को गृह मंत्री से इस संबंध में बात की थी और ट्वीट भी किया था।' सरकार पर पीड़ितों के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने लिखा कि जो संकट के समय सही शासन नहीं दे सके, उसे एक दिन भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है। नेता विपक्ष ने कहा, 'मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि उत्तराखंड सरकार इस आपदा से निपटने में पूरी तरह नाकाम रही है। इसके लिए राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। दुर्भाग्य से केंद्र की सरकार भी इससे निपटने में पूरी तरह नाकाम रही।' उन्होंने कहा कि जब हम बात जिम्मेदारी की उठाते हैं, आप इसे राजनीति करार देते हैं। हम राजनीति के नाम पर सरकार को उसकी नाकामी से बचकर नहीं जाने दे सकते। जितना भी राहत-बचाव कार्य हुआ है, वह सब सेना, वायुसेना और आइटीबीपी ने किया है। उन्होंने अपने जान की बाजी भी लगा दी। मैं उन्हें सलाम करती हूं। सुषमा के इस ट्वीट के जवाब में मनीष तिवारी ने फिर लिखा कि अगर लोकसभा की नेता विपक्ष गृह मंत्री की सलाह पर अमल करती हैं तो भाजपा अध्यक्ष और चुनाव समिति के प्रमुख पर ये लागू क्यों नहीं होता। नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह उत्तराखंड गए थे। मनीष से उलट कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इस मौके पर किसी को राजनीति न करने की नसीहत दी।

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उधर, देहरादून में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और राज्य प्रभारी अंबिका सोनी स्वराज के बयान को गैर जिम्मेदाराना करार दिया। यह दावा भी किया कि पार्टी आपदा प्रभावितों के राहत कार्यो में किसी तरह की सियासत को हावी नहीं होने देगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आपदा प्रभावित गांवों में लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं और सरकार राहत राशि पहुंचाने के झूठे आंकड़े पेश कर भ्रम फैला रही है। भाजपा ने अपने सभी कार्यक्रम रद कर आपदाग्रस्त क्षेत्रों खुद सर्वे करने और राहत पहुंचाने का फैसला किया है।

मदद में देरी पर केदारनाथ की कांग्रेस विधायक नाराज

जागरण ब्यूरो, देहरादून। पीड़ित लोगों तक मदद पहुंचने में हो रही देरी को लेकर केदारनाथ क्षेत्र की कांग्रेस विधायक शैलारानी रावत ने कैबिनेट बैठक के दौरान सचिवालय में हंगामा किया। कांग्रेस भवन में प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी से मुलाकात के दौरान भी शैलारानी अपनी नाराजगी जाहिर करने से नहीं चूकीं। राहत कार्यो से असंतुष्ट विधायक ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफे की पेशकश कर सरकार और संगठन की मुसीबतें बढ़ा दीं। बाद में मुख्यमंत्री से मांगों पर जल्द कार्रवाई का भरोसा मिलने के बाद शैलारानी का गुस्सा बामुश्किल शांत हो सका। बता दें कि राहत कार्यो में देरी को लेकर विधायक ही नहीं, बल्कि कई मंत्रियों और मुख्यमंत्री को भी लोगों का आक्रोश झेलना पड़ा। केदारनाथ की विधायक भी कई जगह लोगों का विरोध झेल चुकी हैं।

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