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उत्तर प्रदेश ने रच दिया इतिहास, पहले के वोटिंग रिकॉर्ड हुए ध्वस्त

उत्तर प्रदेश ने अंतत: लोकसभा के महासमर में अपने ऊपर लग रहे उदासीनता के कलंक को धो ही डाला। प्रचंड गर्मी व तपिश को मात देते हुए यहां के लोगों ने 5

By Edited By: Published: Tue, 13 May 2014 11:40 AM (IST)Updated: Tue, 13 May 2014 12:36 PM (IST)
उत्तर प्रदेश ने रच दिया इतिहास, पहले के वोटिंग रिकॉर्ड हुए ध्वस्त

लखनऊ, [अजय जायसवाल]। उत्तर प्रदेश ने अंतत: लोकसभा के महासमर में अपने ऊपर लग रहे उदासीनता के कलंक को धो ही डाला। प्रचंड गर्मी व तपिश को मात देते हुए यहां के लोगों ने 58 फीसदी मतदान किया है जो कि लोकतंत्र के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक है। बधाई मतदाताओं को और चुनाव आयोग को भी। मतदान का बढ़ना इस बात का संकेत है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी है।

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अब तक हुए सोलह चुनाव में सबसे अधिक वोट 1980 में पड़े थे। जब इंदिरा गांधी ने सत्ता में वापसी की थी। तब उनके लिए लोगों में एक लहर पैदा हुई थी और 56. 44 प्रतिशत लोगों ने मतों का प्रयोग किया था। यह भी संयोग है कि उससे पहले सबसे अधिक वोट 1977 में उन्हें सत्ता से अपदस्थ करने के लिए ही पड़े थे। तब 56.44 फीसद मतदान हुआ था। लेकिन इस बार मतदान 58 फीसद से अधिक है। अब इसे सत्ता विरोधी लहर का असर कहें या मोदी की लहर या फिर चुनाव आयोग के बेहतरीन प्रयासों से मतदान के प्रति फैली जागरुकता का नतीजा कि वोटरों ने तपते सूरज की भीषण गर्मी से कम मतदान की आशंकाओं को निर्मूल साबित करते हुए अपना फर्ज बढ़-चढ़कर निभाया। न केवल कस्बाई इलाके व गांवों में बल्कि लखनऊ, कानपुर जैसे बड़े शहरों के मतदाताओं ने भी मतदान केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी लाइनों में मुस्तैदी से लगाकर बीते चुनाव के न्यूनतम मतदान के कलंक को धोने का काम किया। लखनऊ में पारा 44 डिग्री तक होने के बाद भी बीते चार दशक का रिकार्ड टूटा तो बुंदेलखंड के पथरीले इलाके में 70 फीसद तक मतदान हुआ।

राजनीतिक रुझानों के जानकार इसका श्रेय युवा मतदाताओं में आई चेतना को देते हैं। युवाओं ने खासा उत्साह दिखाया। कुल मतदाताओं में 18 से 30 वर्ष तक के युवाओं की हिस्सेदारी 31.70 फीसद यानि तकरीबन सवा चार करोड़ से कहीं अधिक है। 40 वर्ष से कम उम्र के मतदाता 55.77 फीसद रहे। पिछले पांच वर्ष में हर सीट पर औसतन सवा दो लाख से ज्यादा मतदाताओं में इजाफा हुआ है। मतदान बढ़ाने में इनकी अहम भूमिका साफ दिखती है।

यह तथ्य भी गौरतलब है कि गर्मियों में हुए आम चुनावों में कभी भी 50 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने वोट नहीं किया। इस बार यह रिकार्ड टूटा है तो इसका श्रेय मतदाताओं के साथ चुनाव आयोग को भी जाता है। रिकार्ड मतदान से यह साफ है कि आयोग मतदाताओं तक यह संदेश पहुंचाने में सफल रहा कि बिना किसी डर-दबाव के मतदान करने को घर से निकलें। मतदाता सूची आदि को लेकर आयोग के प्रयासों में कुछ कमियां भले ही रह गईं, अन्यथा यह रिकार्ड और बेहतर हो सकता था।

सहानुभूति लहर में भी नहीं पड़े इतने वोट

यूपी में छह चरणों में हुए मतदान ने राम लहर और इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर के दौरान हुई वोटिंग को भी पीछे छोड़ दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए चुनाव में 55.81 प्रतिशत मत पड़े थे। लोकतंत्र के शुरुआती इतिहास की बात करें तो 1952 में 38.41 प्रतिशत मत और 1957 में 46.02 प्रतिशत मत पड़े थे। बीते चुनाव यानी 2009 में 47.78 फीसद मतदाताओं ने चुनाव में भागीदारी की थी।

यूपी में मतदान

वर्ष प्रतिशत

1952 38.41

1957 46.02

1962 51.02

1967 54.51

1971 46.01

1977 56.44

1980 56.92

1984 55.81

1989 51.27

1991 49.24

1996 46.50

1998 55.49

1999 53.53

2004 48.16

2009 47.78

2014 58.18

पढ़ें: वाराणसी और आजमगढ़ में मतदान के टूटे सारे रिकार्ड


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