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अमेरिकी दस्तावेजों से खुली पोल, पठानकोट हमले के लिए पाक था जिम्मेदार

पठानकोट हमले के सिलसिले में अमेरिका ने एक हजार पन्नों का दस्तावेज भारत को सौंपा है। साक्ष्यों से साफ होता है कि पठानकोट हमले में पाकिस्तान की मिलीभगत थी।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 03:53 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 10:16 AM (IST)
अमेरिकी दस्तावेजों से खुली पोल, पठानकोट हमले के लिए पाक था जिम्मेदार

नई दिल्ली। पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के सिलसिले में पाकिस्तान चाहे जो कुछ भी कहता हो, हकीकत तो यही है कि उसकी मिट्टी से उसके संरक्षण में आतंकी संगठनों ने भारत में दहशतगर्दी को अंजाम दिया था। अमेरिका ने भारत को एक हजार पन्नों का साक्ष्य सौंपा है, जिससे साफ होता है कि जैश-ए-मुहम्मद का हैंडलर कासिफ जान पठानकोट हमले के लिए जिम्मेदार दहशतगर्दों के संपर्क में था।

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पाक की खुली पोल

अमेरिका द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों से पाकिस्तान की पोल खुल चुकी है। उसका असली चेहरा अंतरराष्ट्रीय जगत के सामने आ चुका है। आतंकियों के बीच बातचीत से ये साफ होता है कि कराची के सेफ हाउस से 2008 में मुंबई को दहलाने वाले लोग ही पठानकोट हमले को भी संचालित कर रहे थे। इस नापाक हरकत को अंजाम देने वाले दहशतगर्दों को पाकिस्तान की सरपरस्ती हासिल थी।

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कासिफ जान के संपर्क में थे दहशतगर्द

पठानकोट हमले में मारे गए नसीर हुसैन(पंजाब), अबु बकर(गुंजरावाला), उमर फारुख और अब्दुल कयूम (सिंध) अस्सी घंटे तक चलने वाले आतंकी वारदात के दौरान जैश के हैंडलर कासिफ जान के साथ लगातार संपर्क में बने हुए थे। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक कासिफ जान जैश के दूसरे बड़े आकाओं के साथ भी लगातार संपर्क में था। जांच में ये बात भी सामने आयी है कि कासिफ और दूसरे आतंकी ह्वाट्स ऐप और दूसरे सोशल साइट्स के जरिए संपर्क में थे। इतना ही नहीं कासिफ अपने फेसबुक अकाउंट पर जिस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करता था, उसी नंबर पर दहशगर्तों ने एसपी सलविंदर सिंह की छीनी मोबाइल से बात की थी।

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मुल्ला दादुल्ला का नाम आया सामने

पठानकोट के गुनहगारों ने एक दूसरे मोबाइल नंबर पर भी बात की थी जो किसी मुल्ला दादुल्ला के नाम पर थी। मुल्ला दादुल्ला के फेसबुक अकाउंट को कासिफ इस्तेमाल किया करता था। कासिफ जिन नंबरों को इस्तेमाल कर रहा था, वो टेलीनॉर पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेंशंस लिमिटेड से ली गयी थी। कासिफ जान के फेसबुक पेज पर भारी मात्रा में जिहादी साहित्य और वीडियो हैं जिनमें पठानकोट हमले के बाद जैश के कुछ कैडर्स पर कार्रवाई की निंदा की गयी थी।

अल रहमत ट्रस्ट की थी भूमिका

आतंकियों ने जैश के फाइनेंसियल विंग अल रहमत ट्रस्ट के नंबरों पर भी बातचीत की थी, जिसके सिलसिले में अमेरिका से मदद मांगी गयी थी। अमेरिका द्वारा सौंपे गए इुन साक्ष्यों के आधार पर भारतीय पक्ष का ये दावा मजबूत होता है कि अब पाकिस्तान इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि वो जैश के आतंकियों पाल-पोस रहा है।

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सार्क सम्मेलन में भारत उठा सकता है ये मुद्दा

जानकारों का कहना है कि इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन के दौरान भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस मुद्दे को उठा सकते हैं। सार्क देशों के सम्मेलन के दौरान भारत ने वैसे तो पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत से इनकार किया है। लेकिन अमेरिका द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर भारत अब पाकिस्तान को बेनकाब कर सकता है। भारत पहले भी जैश के मुखिया के खिलाफ तमाम सबूत दे चुका है। लेकिन अब भारत एक बार फिर जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को आतंकी घोषित कर संयुक्त राष्ट्र से पाबंदी लगाने की मांग कर सकता है।

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