़ज्योति हत्याकांड मामले में पीयूष को बचाना चाहती है पुलिस
ज्योति हत्याकांड मामले में स्वरूपनगर पुलिस पीयूष और मनीषा को शायद बचाना चाहती है इसीलिए अभी तक उनके फिंगर पि्रंट नहीं लिए गए जबकि इसी मामले में आरोपी अवधेश, रेनू, सोनू और आशीष के फिंगर पि्रंट दो बार पुलिस ने लिए हैं।
कानपुर, जासं। ज्योति हत्याकांड मामले में स्वरूपनगर पुलिस पीयूष और मनीषा को शायद बचाना चाहती है इसीलिए अभी तक उनके फिंगर पि्रंट नहीं लिए गए जबकि इसी मामले में आरोपी अवधेश, रेनू, सोनू और आशीष के फिंगर पि्रंट दो बार पुलिस ने लिए हैं।
ज्योति हत्याकांड में पुलिस की अब तक की कहानी यही कहती है कि पीयूष ने अपनी पत्नी ज्योति को मारने के लिए जेल में बंद अन्य अभियुक्तों का सहारा लिया। इसका मतलब साफ है कि इस मामले में जो भी आरोपी जेल में है वह घटना में बराबर का दोषी है चाहे फिर वह षड़यंत्र में शामिल रहा हो या पुलिस से सूचना छिपाई हो। इस हत्याकांड में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है लिहाजा इन परिस्थितियों में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य और फिंगर प्रिंट बेहद मायने रखेंगे। पुलिस ने चार आरोपी अवधेश, रेनू, सोनू और आशीष के फिंगर पि्रंट तो लिए लेकिन पीयूष को छोड़ दिया। आखिर ऐसा क्यों किया गया समझ से परे है। अवधेश के अधिवक्ता संजीव कुमार तिवारी के मुताबिक उनके मुवक्किलों को ही इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी बताकर पुलिस फंसाना चाहती है इसलिए दो बार फिंगर प्रिंट लिए गए जबकि पीयूष के फिंगर पि्रंट के लिए विवेचक ने आवेदन भी किया और वापस ले लिया। संजीव के मुताबिक जब एक ही घटना में सभी आरोपी हैं तो पीयूष और मनीषा के फिंगर प्रिंट क्यों नहीं लिए जा रहे हैं।
फिंगर प्रिंट का केस में मतलब
ज्योति हत्याकांड में जो भी कहानी बताई जा रही है उसमे फिंगर प्रिंट बेहद मायने रखते हैं। पीयूष समेत सभी आरोपी कार में गए थे तो जरूर कार के किसी न किसी हिस्से को छुआ होगा और उनके फिंगर प्रिंट उसमे आ गए होंगे। इसके साथ ही जो दूसरे साक्ष्य बरामद हुए हैं उनमें भी फिंगर प्रिंट मौजूद होंगे। इन फिंगर प्रिंट का किसी भी आरोपी से मिलान हो गया तो यह आरोपियों को सजा के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देगा और चश्मदीद गवाह की कमी को पूरा करेगा।
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