असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के लिए मिलेगा कार्ड
पंजीकरण के बाद श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइसी) की योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के 47 करोड़ से ज्यादा असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा तंत्र में लाने के लिए उन्हें अनऑर्गनाइज्ड वर्कर इंडेक्स नंबर यानी यूडब्ल्यूआइएन कार्ड जारी किया जाएगा। केंद्रीय श्रम मंत्रालय इसके लिए अप्रैल से अभियान शुरू करेगा।
मंत्रालय अगले वित्त वर्ष के अंत तक यह काम पूरा कर लेना चाहता है ताकि 2019 में आम चुनाव से पहले उन्हें मंत्रालय के प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा संबंधी श्रम संहिता के दायरे में लाया जा सके। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि मंत्रालय अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से इसके लिए पंजीकरण पूरे देश में शुरू कर देगा। इसमें पंजीकरण के बाद श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइसी) की योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। यूडब्ल्यूआइएन कार्ड यूनिक नंबर होगा जो आधार से साथ जुड़ा होगा ताकि श्रमिकों को एक ही जगह पर सभी सुविधाएं मिल सकें।
सामाजिक सुरक्षा के लिए श्रम संहिता
सूत्र के अनुसार मंत्रालय में सामाजिक सुरक्षा व कल्याण पर श्रम संहिता पर अभी विचार किया जा रहा है। अनौपचारिक श्रमिकों का पंजीकरण पूरा होने के बाद श्रम संहिता लागू की जाएगी। मंत्रालय ने यूडब्ल्यूआइएन कार्ड का असर जांचने के लिए इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया है। इसके नतीजे संतोषजनक रहे हैं।
सूत्र ने बताया कि इस मुद्दे पर फैसला किया जाना बाकी है कि ईपीएफओ और ईएसआइसी की स्कीमों में श्रमिक के योगदान के बराबर अंशदान करने की जिम्मेदारी किसकी होगी। स्कीमों में संगठन क्षेत्र के कर्मचारी के अलावा सेवायोजक को बराबर का अंशदान करना होता है। सरकार को असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के मामले में कोई तंत्र विकसित करना होगा क्योंकि इसमें योगदान करने के लिए कोई सेवायोजक नहीं होता है। नई श्रम संहिता में इस मसले पर फैसला होने की संभावना है।
श्रमिक हो सकता है खुद का सेवायोजक
श्रम संहिता में इस पर विचार हो रहा है कि असंगठित क्षेत्र में बिना सेवायोजक वाले श्रमिकों का मुख्य सेवायोजक वह खुद ही हो सकता है। संहिता को मंजूरी मिलने के बाद ईपीएफओ व ईएसआइसी की स्कीमों में मुख्य सेवायोजक होने की शर्त कोई अड़चन नहीं बनेगी। श्रम संहिता में सभी मौजूदा 15 कानूनों का विलय हो जाएगा। ईपीएफ, ईएसआइ, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी भुगतान, कर्मचारी प्रतिपूर्ति, असंगठित सामाजिक सुरक्षा के कानूनों के अलावा कल्याण सेस व फंड संबंधी कानून इसमें शामिल हो जाएंगे।