अधूरे और डरे मन से एकजुटता
सरकार और सत्ताधारी पार्टी अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर कोई पत्ता नहीं खोल रही है।
आशुतोष झा, नई दिल्ली। जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्ष अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने और परोक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिशों में भले लगा है, लेकिन यह भय भी सता रहा है कि सरकार का दाव कहीं पूरी कवायद पर पानी न फेर दे। यानी सरकार की ओर से कहीं ऐसे राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा न हो जाए जिसका विरोध विपक्षी दलों के लिए संकट खड़ी कर दे। वहीं राजनीतिक अस्तित्व के लिए इसे जरूरी माना जा रहा है कि सांकेतिक ही सही, सरकार के खिलाफ एकजुटता अभी नहीं बनी तो आगे मुश्किल होगी।
सरकार और सत्ताधारी पार्टी अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर कोई पत्ता नहीं खोल रही है। हालांकि यह तय है कि नाम घोषित करने से पहले राजग के अंदर कम से कम उम्मीदवारों के पैनल पर जरूर मशविरा किया जाएगा। दूसरी तरफ कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने अनौपचारिक ऐलान कर किया है कि राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष भी अपना उम्मीदवार उतारेगा। वैसे इलेक्टोरल कालेज के नंबर गेम में सरकार काफी आगे है और खुद विपक्ष को भी इसकी जानकारी है कि सरकार जिसे चाहे उसे राष्ट्रपति पद पर बिठा सकती है। ऐसे में विपक्ष की मंशा सिर्फ इतनी है कि उपराष्ट्रपति का पद विपक्ष से सुझाए गए उम्मीदवार के पास जाए। यही कारण है कि समाजवादी नेता मधु लिमये को याद करने के बहाने एक मई को पूरा विपक्ष एकजुट हो रहा है।
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पर यह एकजुटता आधे मन से होगी। विपक्ष के एक नेता ने इसका आभास कराते हुए कहा- भाजपा नेतृत्व हर मोर्चे पर हमें जिस तरह पटखनी दे रहा है उसके बाद हमारी अपेक्षाएं बेमानी हैं. हमें तो यह डर है कि वह कहीं हमें विरोध के लायक ही न छोड़ें।' उन्हें तो यह भी डर है कि कहीं विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने के बाद स्थानीय या वैचारिक कारणों से फिर से बिखराव न हो जाए। ऐसा हुआ तो फजीहत और ज्यादा होगी। दरअसल, पिछले दिनों में कुछ मुद्दों पर विरोध विपक्ष के लिए भारी पड़ा है। नोटबंदी जैसे आर्थिक मुद्दे का विरोध विपक्ष को गरीब विरोधी करार दे गया तो ओबीसी कमीशन के आड़े आने के बाद उन्हें उन पिछड़े मुसलमानों को भी सफाई देनी पड़ सकती है जो इस आयोग के दायरे में आते हैैं।
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सरकारी सूत्रों की मानी जाए उन्हें संभावित उम्मीदवार पर चर्चा की कोई जल्दबाजी नहीं है। राजग के पास पर्याप्त संख्या है और वक्त आने पर राजग सहयोगियों के साथ जरूर कुछ नाम साझा किए जाएंगे। विपक्ष ने अगर तबतक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया तो राजग के बाद उन्हें बताया जाएगा। भाजपा के एक नेता ने भी विपक्षी नेता के अहसास से सहमति जताई और माना कि प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रपति उम्मीदवार राजनीतिक रूप से चौंका सकता है।