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ईरानी के कामकाज से नाराज सांसदों ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

चार अलग-अलग पार्टियों के सांसदों ने शीर्ष शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का मामला उठाते हुए राष्ट्रपति से मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के मंत्रालय के कामकाज में दखल देने की गुहार लगाई है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2015 08:13 PM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2015 09:04 PM (IST)

नई दिल्ली । चार अलग-अलग पार्टियों के सांसदों ने शीर्ष शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का मामला उठाते हुए राष्ट्रपति से मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के मंत्रालय के कामकाज में दखल देने की गुहार लगाई है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लिखे अपने पत्र में इन सांसदों ने कहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय आइआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कामकाज में गैरजरूरी दखलंदाजी कर रहा है। साथ ही इन्होंने संघ के हस्तक्षेप का आरोप भी लगाया है।

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खत्म की जा रही स्वायत्तता

राष्ट्रपति को पत्र लिखने वालों में जदयू के केसी त्यागी, भाकपा के डी राजा, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और राकांपा के डीपी त्रिपाठी शामिल हैं। प्रणब को लिखे साझा पत्र में सांसदों ने आरोप लगाया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता को व्यवस्थित तरीके से खत्म किया जा रहा है। पत्र में इन्होंने कहा है, 'आइआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों से जुड़े बेहद सक्षम और सम्मानित व्यक्ति हों या फिर चयन प्रक्रिया से जुड़े प्रख्यात व्यक्ति, किसी को भी छोड़ा नहीं जा रहा। एक आइआइटी के बेहद प्रतिष्ठित निदेशक के साथ अपमानजनक व्यवहार और उत्पीड़न किया गया, जबकि उन्होंने सारा काम नियमों के मुताबिक और अपने बोर्ड ऑफ गवर्नर की मंजूरी के बाद किया था। इस तरह की सूची बहुत लंबी और चिंताजनक है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संघ की दखलंदाजी के भी कई मामले हैं।'

तुरंत कदम उठाएं राष्ट्रपति

सांसदों ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल कर आइआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों को पहुंचाए जा रहे नुकसान पर तुरंत रोक लगाएं। साथ ही सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मांग की है कि वे ज्यादा देर होने से पहले ही दखल देकर इन संस्थानों को बचाएं। सांसदों ने आगे कहा है कि ये ऐसे संस्थान हैं, जिन्होंने अपने गठन के कानून के तहत शानदार काम किया है और समाज का भला किया है। साथ ही यह भी याद दिलाया है कि मंत्रालय और मंत्री की भूमिका व्यापक नीति बनाना और पर्याप्त धन उपलब्ध करवाना है ना कि इन संस्थानों के कामकाज में दखल देना।

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