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तीन तलाक महिलाओं के साथ क्रूरता, संवैधानिक अधिकारों का हननः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यहां तक कि पवित्र कुरान में भी तलाक को सही नहीं माना गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 12:07 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 08:17 PM (IST)
तीन तलाक महिलाओं के साथ क्रूरता, संवैधानिक अधिकारों का हननः हाईकोर्ट

इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज तीन तलाक पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज ट्रिपल तलाक को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता माना है। दूसरी तरफ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है। बोर्ड के अनुसार इस फैसले को वह बड़े कोर्ट में चुनौती देंगे।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज ही दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यहां तक कि पवित्र कुरान में भी तलाक को सही नहीं माना गया है। हाईकोर्ट ने कहा तीन तलाक की इस्लामिक कानून गलत व्याख्या कर रहा है। तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। बुलंदशहर की हिना की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने आदेश दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक के आधार पर राहत पाने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इसलिए वह कोई फैसला नहीं दे रहे, बल्कि तीन तलाक को असंवैधानिक कहना उनका ऑब्जर्वेशन है।

ट्रिपल तलाक को लेकर केंद्र सरकार और मुस्लिम संगठन आमने-सामने हैं। मुस्लिम संगठन सरकार की इस कवायद का विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है।

कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। अदालत ने दो टूक कहा कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है। दो अगल-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनीत कुमार की एकलपीठ ने ये फैसला दिया।

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हाईकोर्ट ने बुलंदशहर की हिना और उमर बी की दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना अपना मत रखा। 24 वर्ष की हिना का निकाह 53 वर्ष के एक व्यक्ति से हुआ था, जिसने उसे बाद में तलाक दे दिया। जबकि उमरबी का पति दुबई में रहता है जिसने उसे फोन पर ही तलाक दे दिया था। जिसके बाद उसने अपने प्रेमी के साथ निकाह कर लिया था।

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जब उमरबी का पति दुबई से लौटा तो उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि उसने तलाक दिया ही नहीं। उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी से शादी करने के लिए झूठ बोला है। इस पर कोर्ट ने उसे एसएसपी के पास जाने का निर्देश दिया।

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आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और इस्लामिक विद्वान खालिद रशीद फिरंगी महली ने इस फैसले को शरियत कानून के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा हमारे मुल्क के संविधान ने हमें अपने पर्सनल लॉ पर अमल करने की पूरी-पूरी आजादी दी है। इस वजह से हमलोग इस फैसले से मुत्तफिक नहीं है। पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी इस फैसले को स्टडी करके इस फैसले के खिलाफ बड़े कोर्ट में अपील करेगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया ट्रिपल तलाक पर फैसला

हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई भी कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से बड़ा नहीं है।

यहाँ तक कि पवित्र कुरान में भी ट्रिपल तलाक को अच्छा नहीं माना गया है।

कोर्ट ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से बड़ा नही है।

ट्रिपल तलाक महिलाओं के अधिकारों का हनन करने वाला है।

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देना क्रूरता है।

पवित्र कुरान में भी ट्रिपल तलाक को अच्छा नहीं माना गया है।

मौलाना खालीद रशीद फिरंगी ने कहा

हाई कोर्ट के फैसले पर कोई ऐतराज नही है।

हम कोर्ट के फैसले के सम्मान करते हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फैसले का अध्ययन करेगा।

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने का निर्णय लिया जायेगा।

फैसले से संतुष्ट ना होने की दशा में उसके खिलाफ याचिका दायर करना हमारा संवैधानिक अधिकार है.

जिन लोगों ने ट्रिपल तलाक का गलत फायदा उठाया है, उनके खिलाफ कार्यवाही की जाये, लेकिन ट्रिपल तलाक को खत्म नही किया जाना चाहिए।

तीन तलाक पर हुकूमत व कोर्ट के पक्ष में नहीं मौलाना जव्वाद

मौलाना कल्बे जव्वाद भले ही तीन तलाक को बंद करने के पक्ष में हैं, लेकिन शरीयत में उनको हुकूमत तथा कोर्ट का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं है। मौलाना मौलाना कल्बे जव्वाद का मानना है कि एक ही बार में दिया जाने वाला तीन तलाक बंद होना चाहिए। अब तीन तलाक पर धर्मगुरु मिलकर फैसला करेंगे। इसमें उनको हुकूमत तथा कोर्ट का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं है।


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