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त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शर्तों के साथ महिलाओं के प्रवेश की अनुमति

महाराष्ट्र के नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार में प्रवेश पर प्रतिबंध को लेकर लगातार महिला संगठनों की के प्रदर्शन के बाद त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट ने एक घंटे के लिए उनके प्रवेश की अनुमति दे दी।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 15 Apr 2016 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 15 Apr 2016 07:27 PM (IST)

नासिक, प्रेट्र : द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर में महिलाओं के साथ भेदभाव खत्म कर दिया गया है। त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट ने मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को प्रति दिन एक घंटे के लिए प्रवेश की इजाजत दे दी है। हालांकि, ट्रस्ट ने इसके लिए एक शर्त लगा दी है कि महिलाएं गीले सूती या रेशमी कपड़े पहनकर ही गर्भगृह स्थित शिवलिंग की पूजा कर सकेंगी।

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उल्लेखनीय है कि इस नवरात्र के पहले दिन शिंगणापुर मंदिर के प्रबंधकों ने शनि के चबूतरे तक महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी। इस लिहाज से 10 दिनों के भीतर धर्मस्थलों पर महिलाओं के प्रवेश मामले में दो बड़े निर्णय लिए गए।

मंदिर प्रबंधन की सदस्य ललिता शिंदे ने बताया कि बुधवार को ट्रस्ट की बैठक के दौरान महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किया गया। इसमें तय हुआ कि कुछ शर्तों के साथ सुबह सात से आठ बजे के बीच महिलाओं को गर्भगृह जाकर भगवान शिव की आराधना का मौका दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि वनिता गुट्टे के नेतृत्व में पुणे का स्वराज्य संगठन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में लिंगभेद खत्म करने के लिए आंदोलन चला रहा था।

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महिलाओं का शर्त मानने से इन्कार

महिलाओं ने गर्भगृह जाने के लिए किसी शर्त को मानने से इन्कार कर दिया है। उनका कहना है कि मंदिर जाने के लिए भीगे कपड़े पहनना भी एक तरह का भेदभाव है। इसके चलते गतिरोध फिलहाल खत्म नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि पुरुषों को भी विशेष कपड़ों में ही गर्भगृह जाने दिया जाता है। उन्हें इसके लिए रेशम का 'सोवाला' पहनना पड़ता है।

पुलिस तक पहुंचा मामला

--गर्भगृह में प्रवेश के लिए आंदोलन चला रही वनिता गुट्टे और अन्य कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को गर्भगृह जाने से इन्कार कर दिया।
--इसी बीच पुरुष पुजारियों ने दैनिक पूजा के लिए 'सोवाला' पहनकर गर्भगृह में प्रवेश किया।
--इस दौरान आंदोलनकारियों की मंदिर के प्रबंधकों से झड़प होने लगी। इन सबमें सात बजे तक प्रवेश का निर्धारित समय निकल गया।
--इसके बाद महिला आंदोलनकारियोंने मंदिर के प्रबंधकों समेत लगभग ढाई सौ लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी।
--इन महिलाओं ने ट्रस्ट के सदस्यों और अन्य लोगों पर मंदिर में प्रवेश से रोकने का आरोप लगाया है।
--पुलिस का कहना है कि मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।


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