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फिर सरकार से टकराव की राह पर ट्रांसपोर्टर

सबसे बड़ी यूनियन आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) ने 13 सूत्री मांगों को लेकर 20 अप्रैल से चक्का जाम का एलान किया है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 07:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 08:34 PM (IST)
फिर सरकार से टकराव की राह पर ट्रांसपोर्टर
फिर सरकार से टकराव की राह पर ट्रांसपोर्टर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रांसपोर्टर क्षेत्र एक बार फिर सरकार से टकराव की राह पर हैं। लेकिन चूंकि चक्का जाम की तारीखों व मांगों को लेकर विभिन्न ट्रांसपोर्ट यूनियनों में एकता की कमी है, लिहाजा सरकार उनकी सभी मांगों के आगे झुकेगी इसमें संदेह है। लेकिन थर्ड पार्टी मोटर प्रीमियम में बढ़ोतरी जैसे उपभोक्ता विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों को जनता का समर्थन मिल सकता है।

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सबसे बड़ी यूनियन आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) ने 13 सूत्री मांगों को लेकर 20 अप्रैल से चक्का जाम का एलान किया है। जबकि इसी की दक्षिण भारतीय शाखा के अलावा दूसरी यूनियन अकोगोवा 1 अप्रैल से ही हड़ताल पर जा रही है। अकोगोवा की केवल तीन मांगे हैं। लेकिन थर्ड पार्टी प्रीमियम पर तकरीबन सभी ट्रांसपोर्ट यूनियनों की राय एक है और सभी प्रस्तावित बढ़ोतरी के खिलाफ हैं।

अकोगोवा के मुताबिक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस महज उन लोगों की लूट का जरिया बन कर रह गया है जो बढ़े-चढ़े दावों के जरिए बीमा कंपनियों को चूना लगाते हैं। बीमा कंपनियां हर साल दो साल में प्रीमियम दरें बढ़ाकर इसकी सजा सभी मोटर स्वामियों को देती हैं। ओवरआल प्रीमियम दरें जरूरत से ज्यादा न हों, इसके लिए उन्होंने फ्लीट ओनर्स को प्रीमियम तो 50 फीसद तक की छूट देना शुरू कर दिया है। लेकिन 70 फीसद छोटे आपरेटर तथा यूज्ड वाहन खरीदारों को कोई रियायत नहीं मिलती। बीमा कंपनियों के कार्टल के कारण जहां पिछले दस सालों में मोटर प्रीमियम दरें आठ गुना तक बढ़ी हैं। वहीं बड़े कारपोरेट घरानों की प्रापर्टी इंश्योरेंस की दरें घट गई हैं।

अकोगोवा की अन्य मांगों में मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2016 के तहत बढ़ाई गई जुर्माने की विभिन्न दरों में कमी करना तथा 1 जनवरी, 2017 से बढ़ाई गई लाइसेंस व फिटनेस टेस्ट की दरों पर पुनर्विचार करने की मांगें प्रमुख हैं। दूसरी ओर एआइएमटीसी ने 10 अतिरिक्त मांगें जोड़ दी हैं। इनमें वैकल्पिक टोल संग्रह नीति लाने, बसों व टूरिस्ट वाहनों को नेशनल परमिट जारी करने, अंतरमंत्रालयी समिति का गठन करने, सभी करों के आनलाइन भुगतान की सुविधा देने, पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की नीति के बजाय इंजन रिट्रोफिटमेंट की व्यवस्था लागू करने, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर जीएसटी के प्रभाव को स्पष्ट करने, 1 अप्रैल, 2017 से पहले बन चुके बीएस-3 मानक वाहनों का पंजीकरण करने, समान चेसिस के वाहन के लिए समान ऊंचाई तय करने, दो ड्राइवरों, यूनीफार्म तथा कक्षा आठ पास सर्टिफिकेट और प्रेशर हार्न पर अस्पष्ट नियमों को रद करने, ओवरलोडिंग की जिम्मेदारी कंसाइनर, कंसाइनी, ट्रकर, ट्रांसपोर्टर, टोल प्लाजा, आरटीओ, पुलिस सब पर समान रूप से फिक्स करने तथा राजमार्गो पर ट्रकों की पार्किंग के इंतजाम करने की मांग शामिल है।

यह अलग बात है कि परिवहन विशेषज्ञ ट्रांसपोर्टरों की हर मांग से सहमत नहीं हैं। इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक एसपी सिंह के अनुसार थर्ड पार्टी मोटर प्रीमियम व वाहन स्कै्रप नीति जैसे चंद मुद्दों को छोड़ सरकार को ट्रांसपोर्टरों की किसी फालतू मांग के आगे नहीं झुकना चाहिए तथा परिवहन सुधार के एजेंडे को सख्ती से लागू करना चाहिए।

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