ऊंचे स्तर पर रुका भ्रष्टाचार, आम जनता को राहत मिलना बाकी
ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने में मोदी सरकार को मिली सफलता। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए अभी करने होंगे भागीरथी प्रयास।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम के वायदे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार पिछले तीन सालों में ऊंचे स्तर पर फैले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में तो कामयाब रही, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में आम जनता को निचले स्तर से भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलना बाकी है। कालेधन प एसआइटी का गठन, नोटबंदी, बेनामी संपत्ति कानून और आयकर कानून के प्रावधानों को कड़ा कर मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने का ठोस कदम जरूर उठाया, लेकिन लोकपाल के गठन में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी खड़ा किया है।
सत्ता संभालते ही कैबिनेट की पहली बैठक में कालेधन के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसआइटी के गठन को हरी झंडी देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस पर काम करेगी। पिछले तीन साल में सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगना इसे सही साबित भी कर दिया है। इससे भ्रष्टाचार के पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय रैकिंग में भारत का स्थान भी ऊंचा हुआ। लेकिन विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को वापस लाने में विफलता के लिए मोदी सरकार को आरोपों का सामना भी करना पड़ा। यही कारण है कि पिछले साल जुलाई मेंमाईगोव डाट कॉम पर मोदी सरकार की उपलब्धियों पर कराए गए अपने सर्वेक्षण में लोगों ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर सरकार की कार्रवाई को बहुत अंक नहीं दिया था।
पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री ने जब कालेधन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया, तो इसे भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के रूप में देखा गया। जनता ने नोटबंदी के फैसले को हाथोंहाथ लिया। इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिशों और तमाम तकलीफों के बावजूद आम जनता मोदी सरकार के साथ खड़ी दिखी। लेकिन धीरे-धीरे यह भी साफ हो गया है कि दशकों से जड़ जमाए कालेधन और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सिर्फ नोटबंदी ही काफी नहीं है।
भ्रष्ट बैंक अधिकारियों की मदद से कालेधन के कुबेर पुराने नोटों को नए नोटों में बदलवाने में भी सफल रहे। इसकी काट के लिए मोदी सरकार ने 28 सालों से ठंडे बस्ते में पड़े बेनामी संपत्ति कानून को बाहर निकालकर लागू कर दिया। बेनामी संपत्ति कानून के तहत पिछले चार महीने 400 संपत्तियों की पहचानकर 530 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
मोदी सरकार के तीन साल में यह भी साबित हो गया है कि कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ मौजूदा प्रयास पर्याप्त नहीं है। रोजमर्रा की जिंदगी में आम आदमी को भ्रष्टाचार से निजात दिलाने के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। वैसे यह भी साफ है कि आम आदमी को जिन कामों के लिए रिश्वत देने पड़े रहे हैं, उनमें अधिकांश राज्य सरकारों के अधीन आते हैं। इसके लिए केंद्र की तरह राज्यों में भी सीबीआइ और ईडी की तर्ज पर मजबूत भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियां खड़ी करनी होगी। अब जबकि अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार है। इस दिशा में काम शुरू किया जा सकता है।
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