इस गांव के हर घर में है कम से कम 'एक शिक्षक'
शिक्षक दिवस के अवसर पर कर्नाटक का एक गांव सबसे बढ़िया उदाहरण है जहां कोई भी ऐसा घर नहीं जिसमें शिक्षक न हो।
बेलागावी। 'गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पायं। बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद दियो बताय।।' शिक्षक का स्थान कोई नहीं ले सकता और कर्नाटक में एक गांव ऐसा है जहां के हर एक घर में एक शिक्षक का वास है। बेगालवी के सावादात्ती ताल्लुक का इंचल गांव शिक्षकों का गांव है। यहां के हर मां-बाप की पहली चाहत यही है कि उनका बच्चा शिक्षक के व्यवसाय को अपनाए।
जिला से 41 किमी दूर स्थित इंचल की जनसंख्या 6,000 है और यहां के 600 से अधिक लोगों ने शिक्षक का व्यवसाय चुना है। वे कर्नाटक के विभिन्न भागों में काम कर रहे हैं। राज्य द्वारा संचालित स्कूल और कॉलेजों में अधिकांश कार्यरत हैं और कुछ कर्नाटक में चल रहे प्राइवेट संस्थानों में भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा कर लिया है और पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं।
इंचल के लोगों के लिए शिक्षा प्रदान करना आदर्श व्यवसाय है। यहां के गांव में एक परिवार ऐसा भी है जहां सबसे अधिक शिक्षक हैं। कर्नाटक राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के बैलहोंगल तालुक सचिव, शब्बीर मिरांजानावर के परिवार के 13 सदस्य शिक्षक हैं। औसतन परिवारों में कम से कम पांच शिक्षक होते हैं।
ब्लॉक शिक्षा पदाधिकारी, एसएल भंजांत्री ने कहा,’इंचल गांव में अधिकांश लोग शिक्षण व्यवसाय में हैं। इसके बाद व्यवसाय के तौर पर खेती को अपनाया जाता है।
1970 में इंचल के एक प्राथमिक स्कूल में मात्र आठ शिक्षक थे। जो पढ़ाई को आगे बढ़ाना चाहते थे उन्हें बैलहोंगल शहर में जाना होता था। हायर एजुकेशन के लिए संस्थानों की कमी से अनेकों छात्रों को जूझना पड़ता था, विशेषकर लड़कियां।
इसे गंभीरता से लेते हुए, शिवानंद भारती स्वामीजी ने अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर एजुकेशन सोसायटी स्थापित की। 1984 में ग्रामीण शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र खोला गया। गांवों में छात्रों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया गया। प्रसाद निलायम से यह जुड़ा जहां छात्रों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाता था। वर्तमान में इंचल में एक प्राइमरी और हाई स्कूल, पीयू कॉलेज, डिग्री कॉलेज, बीएएमएस कॉलेज व एक संस्कृत स्कूल है।