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डिसेबिलिटी बिल लोकसभा में पास, दिव्यांगों को मिलेगा फायदा

2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में लगभग 2 कोरड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह की डिसेबिलिटी के शिकार हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 16 Dec 2016 02:32 PM (IST)Updated: Fri, 16 Dec 2016 02:46 PM (IST)
डिसेबिलिटी बिल लोकसभा में पास, दिव्यांगों को मिलेगा फायदा

नई दिल्ली, एएनआई। संसद का शीतकालीन सत्र इस बार हंगामे की भेंट चढ़ गया लेकिन इस सत्र के खत्म होते होते एक काम अच्छा हो गया कि लोकसभा में डिसेबिलिटी बिल पास हो गया है। इससे दिव्यांगों को फायदा होगा, उनकी परेशानियां कम हो जाएंगी और उनका जीवन खुशहाल बनेगा। अब नया विधेयक डिसेबिलिटी एक्ट 1995 की जगह ले लेगा और माना जा रहा है कि दिव्यांग लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा में यह विधेयक अहम भूमिका निभाएगा।

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2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में लगभग 2 कोरड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह की डिसेबिलिटी के शिकार हैं। नए आरपीडब्लूडी बिल 2014 में लगभग 21 नई डिसेबिलिटीस की पहचान कर उन्हें डिसेबिलिटी लिस्ट में रखा गया है। इससे पहले पुराने विधेयक में सिर्फ सात तरह की डिसेबिलिटीस को ही डिसेबिलिटी श्रेणी में रखा गया था।

ऐसे में नए विधेयक के जरिए ज्यादा-से-ज्यादा बीमारियों को कवर करने से कानूनी तौर पर ज्यादा दिव्यांग लोगों की मदद की जा सकेगी। एक अनुमान के मुताबिक नए बिल में ज्यादा बीमारियां कवर करने की वजह से लगभग 7 से 10 करोड़ लोगों को फायदा होगा।

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जहां पुराने विधेयक में कुछ ही डिसेबिलिटीस को रखा गया था वहां नए विधेयक की श्रेणी में साइकोलोजिकल डिसेबिलिटी, लिपरोसी, ऑटिस्म, मेंटल इलनेस, स्पेकटर्म डिसोर्डर, सेरेबल प्लासी जैसी गंभीर बीमारियों को रखा गया है। इसके अलावा इस बिल में एसिड अटैक की शिकार बने लोगों (खासकर महिलाएं) को भी जगह दी गई है जिसके बाद उनकी एसिड अटैक विक्टम्स को उनके अधिकार मिल सकेंगे।


इसके अलावा नए विधेयक के कारण कई दिव्यांग लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिल सकेंगे। वर्ल्ड बैंक के एक अनुमान के मुताबिक दुनिया 15% आबादी किसी-न-किसी तरह की डिसेबिलिटीस की शिकार है और इस आंकड़े के अनुमान के हिसाब से देखें तो दिव्यांग लोगों के काम नहीं कर पाने की वजह से जीडीपी का सालाना नुकसान 3-7 % का होता है। नया विधेयक 2014 में बनाया गया था।

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