आदर्श सोसायटी में मंत्रियों और नौकरशाहों की मिलीभगत: बांबे हाईकोर्ट
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि आदर्श सोसायटी के लिए जिस जमीन का इस्तेमाल किया गया है उसके लिए मंजूरी नहीं ल गई थी। अदालत ने कहा कि जमीन सड़कों के विकास के लिए थी।
मुंबई, (टीओआई)। महाराष्ट्र के कोलाबा में आदर्श सोसायटी को बनाने के लिए जिस जमीन का इस्तेमाल किया गया था वो जमीन सोसायटी निर्माण के लिए नहीं थी। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि कोलाबा में जिस जमीन पर 31 मंजिला आदर्श सोसायटी खड़ी है वो जमीन इस निर्माण के लिए थी ही नहीं। अदालत ने कहा कि जमीन को सड़कों के विकास के लिए रिजर्व किया गया था लेकिन सरकार ने केवल नौकरशाहों के आवेदन पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के जमीन पर आदर्श सोसायटी बना दी।
अदालत ने राज्य सरकार और बीएमसी को आदेश दिया है कि वो आदर्श सोसायटी या कोलाबा मिलिट्री स्टेशन के आस-पास आर्मी की मंजूरी के बिना किसी इमारत का निर्माण ना करे। साथ ही अदालत ने इस मामले याचिका दायर ना किये जाने पर रक्षा मंत्रालय को गहराई से जांच करने का आदेश दिया है।
मामले में जस्टिस रणजीत मोरे और आरजी केतकर ने अपने 223 पेजों के निर्णय में रक्षा मंत्रालय को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया है कि साल 1999 से 13 जुलाई 2010 के बीच ग्रुप ऑप कमांडर रहे अधिकारियों ने फ्लैट आवंटन के लिए कोलाबा मिलिट्री स्टेशन की सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता तो नहीं किया।
कोर्ट ने प्रयावरण मंत्रालय के खिलाफ उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें साल 2011 में आदर्श सोसायटी को गिराने का प्रस्ताव था।
गौरतलब है कि बीते हफ्ते बांबे हाई कोर्ट ने मुंबई की विवादित आदर्श सोसायटी को गिराने का फैसला सुनाया था। यही नहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिए हैं कि मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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