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राजकोषीय घाटा सीमा के अंदर रखने में सफल रही सरकार

राजकोषीय मोर्चे पर सरकार ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। वह वित्त वर्ष 2014-15 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.99 फीसद यानी 5.01 लाख करोड़ रुपये पर सीमित रखने में कामयाब रही है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 31 May 2015 08:51 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2015 09:00 PM (IST)

नई दिल्ली । राजकोषीय मोर्चे पर सरकार ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। वह वित्त वर्ष 2014-15 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.99 फीसद यानी 5.01 लाख करोड़ रुपये पर सीमित रखने में कामयाब रही है। राजकोषीय घाटा किसी वित्त वर्ष के दौरान सरकार के खर्च और उसके रेवेन्यू के बीच का अंतर होता है।

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सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) की ओर से जारी नेशनल अकाउंट्स डाटा के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में वर्तमान मूल्यों पर सकल घरेलू अनुपात (जीडीपी) एक अनुमान से 125.41 लाख करोड़ रुपये रहा।

पूर्व संप्रग सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.1 फीसद रखा था। लेकिन, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि वह इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए इसे एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं जिसे उनके पूर्ववर्ती पी चिदंबरम ने निर्धारित किया था। राजकोषीय घाटा सरकार के संशोधित अनुमान 4.1 फीसद से कम है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, 'विवेकपूर्ण नीतियों और फिस्कल कंसॉलिडेशन के प्रति प्रतिबद्धता के कारण राजकोषीय घाटा 2014-15 केअंत में 5,01,880 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान का 98 फीसद है।

पढ़ें : राजकोषीय घाटा कम करने की बड़ी चुनौती: जेटली

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