बिजनौर जाने से पहले नेपाल में थे आतंकी
बिजनौर जाने से पहले इंडियन मुजाहिदीन और सिमी से जुड़े आतंकी नेपाल में थे। बीते वर्ष एक अक्टूबर को मध्य प्रदेश की खंडवा जेल से फरार होने के बाद आतंकी उत्तर प्रदेश में ही दाखिल हुए, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का दबाव बढऩे के बाद वह नेपाल चले गए। इनकी गतिविधियों की छानबीन में जुटे आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस)
लखनऊ [आनन्द राय]। बिजनौर जाने से पहले इंडियन मुजाहिदीन और सिमी से जुड़े आतंकी नेपाल में थे। बीते वर्ष एक अक्टूबर को मध्य प्रदेश की खंडवा जेल से फरार होने के बाद आतंकी उत्तर प्रदेश में ही दाखिल हुए, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का दबाव बढऩे के बाद वह नेपाल चले गए। इनकी गतिविधियों की छानबीन में जुटे आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) को कई अहम सुराग मिले हैं। एटीएस को अंदेशा है कि मीरजापुर और इलाहाबाद में भी इनकी आमदरफ्त है, इसलिए वहां भी इनकी तलाश में टीमें लगी हैं।
एटीएस की पड़ताल में इनके नेपाल कनेक्शन का पता चला है। मध्य प्रदेश से भागने के बाद इनमें कुछ रांची और कुछ मीरजापुर पहुंचे थे। इनमें से कुछ ने लोकसभा चुनाव के दौरान मीरजापुर से कानपुर आकर नरेंद्र मोदी की रैली स्थल की रेकी की थी। मोदी पर खतरे के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों के बढ़ते दबाव के चलते यह लोग नेपाल भाग गए। नेपाल में इन लोगों ने एक्शन प्लान तैयार किए और कोई बड़ा काम करने के फिराक में थे।
इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल और असदुल्लाह हड्डी, जाली नोटों के सरगना तस्कर इमरान तेली, बम विस्फोट के मास्टर माइंड करीम टुंडा के साथ कई बड़े आतंकियों की गिरफ्तारी के जवाब में आइएम ने बड़े धमाके की तैयारी की थी, लेकिन कभी नेपाल बार्डर से अफजल उस्मानी पकड़ा गया तो कभी गोरखपुर में पाकिस्तान के दो बड़े आतंकियों की गिरफ्तारी हुई। इससे इनके मंसूबे ध्वस्त हुए। बिजनौर में ठिकाना बनाने के पीछे इनका मकसद बहुत खतरनाक था। एटीएस इसे कई दृष्टिकोण से देख रहा है। उत्तर प्रदेश से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक बिछे इनके नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में खंडवा जेल में बाथरूम तोड़कर फरार आतंकियों में गुड्डू उर्फ महबूब, असलम, जाकिर हुसैन, अमजद, अबू फैजल और एजाजुद्दीन के इरादे हमेशा खतरनाक रहे। मध्य प्रदेश एटीएस ने 2011 में इनकी गिरफ्तारी की तो यह सामने आया कि इंडियन मुजाहिदीन और सिमी से जुड़े आतंकियों ने अयोध्या मामले पर फैसला देने वाले जजों और एक पक्ष के वकील को भी निशाने पर रख लखनऊ में कई महीने तक रेकी की थी। बताते हैं लखनऊ में वकील और जजों का पता और फोटो जुटाने का काम शेख मुजीब और असलम को सौंपा गया था। एटीएस इन सभी कडिय़ों को जोडऩे में लगा है।
लैपटाप और मोबाइल भी खोलेगा राज
एटीएस को विस्फोट के बाद मकान से इनके लैपटाप और मोबाइल मिले हैं। एटीएस मोबाइल के जरिए इनकी गतिविधियों और सम्पकरें की छानबीन कर रहा है। मोबाइल के एसएमएस और काल डिटेल के साथ ही उसमें फीड नंबरों की भी पड़ताल हो रही है। इन नंबरों के जरिए कई स्थानीय लोगों के चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।