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इनके बदौलत पहाड़ पर चलता है स्‍कूल, प्रतिदिन करते हैं चढ़ाई

8 किमी की दूरी पर स्‍थित स्‍कूल के लिए सात साल और नौ माह से लगातार सुरेश बी चालागेरी को पहाड़ पर चढ़ाई करना होता है।

By Monika minalEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 11:18 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2016 11:23 AM (IST)
इनके बदौलत पहाड़ पर चलता है स्‍कूल, प्रतिदिन करते हैं चढ़ाई

गडग। स्कूल जाने के लिए, कुछ चलकर और कुछ साइकिल से जाते हैं पर सुरेश बी चालागेरी को स्कूल के लिए पहाड़ पर चढ़ना होता है वह भी एक दिन नहीं प्रतिदिन। 7 साल और नौ माह से स्कूल के लिए समर्पित चालागेरी प्रतिदिन अपने मंजिल तक पहुंचने के लिए पहाड़ी की चढ़ाई करते हैं। कभी कभी तो उन्हें किताबों और अनाज को भी ढोना होता है। बैरापुरा के प्राथमिक विद्यालय को अभी तक चलाने का एकलौता श्रेय इन्हीं को जाता है।

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कर्नाटक के गडग में गजेंद्रगड तालुक स्थित बैरापुर गांव पहाड़ पर स्थित स्कूल बंद होने की कगार पर था जब 50 वर्षीय चालागिरी की पोस्टिंग वहां की गयी।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इस पहाड़ पर लंबानी जनजाति के लोग रहते हैं जिनमें से अधिकतर चरवाहे हैं। अधिकतर लंबानी बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ते हैं। अपने ट्रांसफर के दिनों को याद करते हुए चालागिरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘स्कूल कहां था, इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं था। मुझे बस लैंडमार्क कालकालेश्वर मंदिर के बारे में बताया गया था। जब मैंने स्कूल के बारे में पूछा तो मुझे कहा गया पहाड़ पर चढ़ने का कोई ऑप्शन नहीं।‘

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शुरुआत में मुश्किल हुई, पर अब यह दिनचर्या बन गया है। दिन प्रतिदिन चालागेरी पहाड़ पर चढ़ते और उतरते हैं, कभी कभी बच्चों के मिड डे का राशन उन्हें ले जाना पड़ता है साथ ही कभी किताबें और स्टेशनरी भी। इस सरकारी स्कूल में 60 छात्रों का वार्षिक एनरोलमेंट होता है। वे कहते हैं, ‘स्कूल में छात्रों की संख्या में कमी न हो, इसकी जिम्मेदारी मुझ पर है। स्कूल में तीन शिक्षक हैं लेकिन मैं हेडमास्टर, टीचर, क्लीनर और प्लंबर की भूमिका निभाता हूं।

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