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जब टूटते हैं सपने, तो थम जाती है जिंदगी

नई दिल्ली,(सुमन अग्रवाल)। खुशी से कोई खुदकुशी नहीं करता। ये बात कहीं न कहीं सच है। जब दर्द हद से पार हो जाता है तभी लोग मौत को गले लगाने पर उतारू होते हैं। जिंदगी के प्रति जब निराशा आ जाती है तो लोग अंधेरे में गुम होने के कारण ढूंढते हैं। कब ऊंची उड़ान भरने के सपने देखने वाली आंखें बंद हो जाती है, पता ही नहीं चलता।

By Edited By: Published: Thu, 13 Jun 2013 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2013 03:32 PM (IST)
जब टूटते हैं सपने, तो थम जाती है जिंदगी

नई दिल्ली (सुमन अग्रवाल)। यह बात सच है कि कोई खुशी से खुदकुशी नहीं करता। जब दर्द हद से पार हो जाता है तभी लोग मौत को गले लगाते हैं। जिंदगी के प्रति जब निराशा आ जाती है तो लोग अंधेरे में गुम होने के कारण ढूंढते हैं। कब ऊंची उड़ान भरने के सपने देखने वाली आंखें बंद हो जाती हैं, पता ही नहीं चलता। ऐसा ही कुछ हाल ही में अभिनेत्री जिया खान के साथ भी हुआ है।

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जिया ऐसी अकेली नहीं है जिसने तनाव में मौत को गले लगाया है, बल्कि ऐसे हजारों युवा हैं जो कहीं न कहीं बेबसी, दर्द और मानसिक तनाव का शिकार होकर खुदकुशी कर लेते हैं।

आपको बता दें कि 2001 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर पांच मिनट में एक युवा खुदकुशी करता है। वहीं, डब्लयूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2006-07 में विश्व भर में हर 40 सेकेंड में एक युवा आत्महत्या करता है। साल 2010 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर तीन सेकेंड में एक युवा अपनी जान लेने की कोशिश करता है। अगर हम साल 2010 के आंकड़े को देखें तो इस साल तक 187,000 लाख युवाओं ने मौत को गले लगाया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2020 तक खुदकुशी के आंकड़े 1.5 मिलियन तक पहुंच जाएंगे।

साल 2010 में कराए गए सर्वे के अनुसार, इस साल भारत में 56 फीसद महिलाएं और 40 फीसद पुरुषों ने मानसिक तनाव के चलते खुदकुशी की। आपको बता दें, आत्महत्या करने वालों की उम्र 15 साल से 29 साल के बीच है। यानी कम उम्र के लोग ही ज्यादा खुदकुशी कर रहे हैं। भारत में करीब एक लाख लोग हर साल सुसाइड करते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कैंसर, एड्स या किसी और बड़ी बीमारी से कम लेकिन मानसिक तनाव के चलते लोग ज्यादा मरते हैं।

खुदकुशी की वजह

सर्वे में ये बात सामने आई है कि ज्यादातर युवा ही खुदकुशी का शिकार होते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह होती है मानसिक तनाव। कहीं कोई प्यार में धोखा खाता है, तो कहीं अपने करियर से निराश होकर युवा खुद को मौत की गोद में ढकेल देते हैं।

मनोवैज्ञानिकों की मानें तो युवा कई कारणों की वजह से अपनी जिंदगी खत्म कर देते हैं। मानसिक, आर्थिक और सामाजिक तनाव इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये उम्र ही कुछ ऐसी होती है जब सब कुछ बड़ी तेजी से पाने की इच्छा होती है। युवाओं में नया जोश होता है। वे ऊंची उड़ान के सपने देखते हैं, लेकिन जब उनकी वो आशा या उम्मीदें पूरी नहीं होती तो वो मौत का रास्ता चुन लेते हैं। उन्हें तब जिंदगी नहीं मौत ही अपनी लगने लगती है।

मनोवैज्ञानिक लकी चतुर्वेदी बताती हैं कि 15 से 25 साल की उम्र काफी भावुक होती है। ऐसे में युवा जो भी चीज सीखना चाहें या अपनाना चाहें वे अपना सकते हैं। कोई भी बात या घटना उन पर काफी गहरा असर डालती है। ऐसे में उनके दिलों दिमाग पर हर उस बात का असर होता है, जो उनकी जिंदगी से जुड़ी है। इस दौरान उनके मानसिक चिंतन को समझने की आवश्यकता होती है।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :

-आत्महत्या, दुनिया में मौत का दसवां सबसे बड़ा कारण है।

-टीनएजर और 35 वर्ष से कम उम्र में आत्महत्या और असमय मृत्यु ज्यादा हो रही हैं।

- हर साल दुनिया में एक से दो करोड़ लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी मौत नहीं होती।

-आत्महत्या पर पहली संस्थागत रिसर्च 1958 में लॉस एंजिल्स में हुई थी।

- दुनियाभर में आत्महत्या करने वालों में से 30 फीसद लोग इसके लिए जहरीले कीटनाशक को चुनते हैं।

-अमेरिका में आत्महत्या करने वालों में से 52 फीसद पिस्टल या रिवॉल्वर का इस्तेमाल करते हैं।

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