Move to Jagran APP

अमेरिकी जर्नल में खुलासा, भारत में नवजात बच्चों में दिल की बीमारियों में इजाफा

अमेरिकी जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नवजात बच्चे दिल की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। भारतीय बच्चोें के पेट में फैट की मात्रा ज्यादा पायी जा रही है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 05 May 2016 08:21 AM (IST)Updated: Thu, 05 May 2016 09:15 AM (IST)
अमेरिकी जर्नल में खुलासा, भारत में नवजात बच्चों में दिल की बीमारियों में इजाफा

नई दिल्ली। स्वस्थ भारत और समृद्ध भारत के लिए स्वस्थ बच्चों का होना जरूरी है। लेकिन एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक नवजात बच्चे दिल की बीमारियों की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। सवाल ये है कि गर्भ में पल रहे बेजुबान मासूम आखिर इस समस्या से क्यों दो चार हो रहे हैं। इसका जवाब सीधा और सपाट है गर्भ मेें पल रहे बच्चों के पेट में फैट(वसा) की मात्रा ज्यादा इकठ्ठा हो रही है।

loksabha election banner

लिवर में चर्बी बढ़ने से हृदय रोग का खतरा

अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नवजात बच्चों के शरीर में मसल्स की तुलना में वसा(फैट) की मात्रा ज्यादा है। नवजात बच्चे मेटाबोलिक डिसऑर्डर का शिकार होे रहे हैं। फैट की ज्यादा मात्रा से बच्चों में उच्च रक्तचाप और सुगर की बीमारियां देखने को मिल रही है।

नवजात बच्चों में दिल की बीमारियों की संभावना से दूर रखा जा सकता है। लेकिन इसके लिए गर्भवती महिलाओं को वजन पर नियंत्रण पाना होगा। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं की वजन में इजाफा होने के बाद फैट गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर में चला जाता है। हालांकि शारीरिक श्रम के जरिए इस तरह के खतरों से बचा जा सकता है।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मशहूर डॉक्टर अनूप मिश्रा ने बताया कि पेट में वसा की ज्यादा मात्रा से ब्लड प्रेशर और सुगर होने का खतरा रहता है। जिसकी वजह से दिल की कई बीमारियां घेर लेती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नवजात बच्चों में फैट की मात्रा चाइनीज और दूसरे मुल्कों की तुलना में ज्यादा होता है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि भारतीय महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक मात्रा में फ्रक्टोस ( मीठा पदार्थों) को सेवन करती हैं जिसकी वजह से फैटी शरीर होने की संभावना ज्यादा रहती है।

दवा से दिल और दिमाग की कोशिकाओं का होगा पुनर्निर्माण

भारत में मोटे बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। पिछले पांच साल में इसमें 22 फीसद का इजाफा हुआ है। विश्व स्वास्थय संगठन के आंकड़ों के मुताबिक एशियाई मुल्कों में बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। 1990-2014 के दौरान भारत में निम्न और मध्यम आय ग्रुप में बच्चों में मोटापे की संख्या 7.5 मिलियन से बढ़कर 15.5 मिलियन हो गयी है। विश्वस्तर पर 48 फीसद मोटे बच्चों की संख्या एशिया में है ।

हृदय रोगों दवाओं से पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.