परिवहन क्षमता बढ़ाने को रेल परियोजनओं पर खर्च में तेजी
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक नई रेलवे लाइन बिछाने, दोहरीकरण और विद्युतीकरण जैसी बुनियादी परियोजनाओं पर अप्रैल-दिसंबर के बीच 65,059 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
नई दिल्ली,प्रेट्र। पिछले कई वर्षो के दौरान काफी कम निवेश से परेशान रेलवे ने अपनी बुनियादी परियोजनाओं पर निवेश बढ़ा दिया है। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान उसने 28 फीसद ज्यादा रकम इन परियोजनाओं पर खर्च की।
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक नई रेलवे लाइन बिछाने, दोहरीकरण और विद्युतीकरण जैसी बुनियादी परियोजनाओं पर अप्रैल-दिसंबर के बीच 65,059 करोड़ रुपये खर्च किये गये। जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 53,118 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे।
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इस तरह इस साल रेलवे का खर्च करीब 28.1 फीसद बढ़ गया। रेलवे की परिवहन क्षमता में अपेक्षित वृद्धि न होने के कारण उसके तमाम रूटों पर व्यस्तता काफी ज्यादा हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए उसने निवेश में तेजी लाने का फैसला किया है। पांच वर्ष की अवधि में उसने 8.5 लाख करोड़ रुपये व्यय करने का लक्ष्य रखा है।
आंकड़ों के अनुसार रेलवे ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 1.21 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है। अगले वित्त वर्ष में 1.51 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमें चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत निवेश का लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है। बुनियादी परियोजनाओं के काम में तेजी आ गई है।
चालू वित्त वर्ष के नौ महीनों के दौरान 1705 किलोमीटर लंबी नई लाइनें बिछाई गईं या उनका गेज बदला गया। पिछले साल समान अवधि में 1273 किलोमीटर लाइनों का काम हुआ था। विद्युतीकरण भी 980 किलोमीटर के मुकाबले 1210 किलोमीटर लाइनों में किया गया।
रेलवे के पास होंगे 6.7 लाख करोड़ के कारोबारी अवसर
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि अगले पांच वर्षो के दौरान रेलवे के पास 6.7 लाख करोड़ रुपये के कारोबारी अवसर होंगे। ऐसे में अगले केंद्रीय बजट के दौरान रेलवे को अगले वित्त वर्ष के लिए 1.3-1.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये जा सकते हैं।
इससे रेलवे को अपनी परियोजनाओं में तेजी लाने में मदद मिलेगी। क्रिसिल रिसर्च के अनुसार रेलवे को पुनर्जीवित करने के सरकार के प्रयासों से कारोबारी अवसर बढ़ेंगे। रिपोर्ट के अनुसार रेलवे की परियोजनाओं में भी तेजी आ रही है। पिछले दो वर्षो के दौरान औसतन 1.1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रति वर्ष मंजूर की गईं।