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सोनिया को फाइलें भेजने के हैं ठोस सुबूत: नटवर

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, पूर्व विदेश मंत्री और 'वन लाइफ इज नॉट एनफ' के लेखक नटवर सिंह ने अपनी किताब में संप्रग शासनकाल में घटी कई घटनाओं की पोल खोल दी है। यहां तक कि बहुत कम बोलने के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहना पड़ा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास कोई फाइल नहीं भेजी जाती थी। अपनी किताब में किए दावे पर अडिग नटवर सिंह ने कहा कि उनके पास सोनिया की मुहर के लिए फाइलों को भेजे जाने के पुख्ता सुबूत हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सोनिया गांधी की किताब का इंतजार है। उन्हें लिखना चाहिए। वह ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं।

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 08:59 PM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 01:39 AM (IST)
सोनिया को फाइलें भेजने के हैं ठोस सुबूत: नटवर

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, पूर्व विदेश मंत्री और 'वन लाइफ इज नॉट एनफ' के लेखक नटवर सिंह ने अपनी किताब में संप्रग शासनकाल में घटी कई घटनाओं की पोल खोल दी है। यहां तक कि बहुत कम बोलने के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहना पड़ा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास कोई फाइल नहीं भेजी जाती थी। अपनी किताब में किए दावे पर अडिग नटवर सिंह ने कहा कि उनके पास सोनिया की मुहर के लिए फाइलों को भेजे जाने के पुख्ता सुबूत हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सोनिया गांधी की किताब का इंतजार है। उन्हें लिखना चाहिए। वह ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं।

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नटवर सिंह ने तंज कसते हुए पूछा है कि क्या तत्कालीन प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पुलक चटर्जी 10 जनपथ सोनिया गांधी के साथ दोपहर का भोजन करने जाते थे? जब पूर्व विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या सोनिया और प्रियंका वाड्रा ने उनसे कुछ तथ्यों को किताब में न लिखने के लिए कहा था, तो उन्होंने पूछ लिया, 'आपको क्या लगता है कि वे मेरे साथ रात्रिभोज करने आई थीं?' सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद स्वीकार न करने पर नटवर ने दावा किया है कि राहुल गांधी ने उन्हें पीएम बनने से रोका था। हालांकि, उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि पिछले 26 वर्ष से भारत-चीन सीमा पर शांति सिर्फ और सिर्फ राजीव गांधी की वजह से कायम है, लेकिन इसकी कोई चर्चा नहंी करता। नटवर सिंह ने अपनी किताब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर काफी सख्त रुख अपनाया है। वह लिखते हैं कि उन्होंने 10 साल के शासन के बाद विरासत में कुछ नहीं छोड़ा है। यही नहीं, विदेश मंत्रालय को तब काफी हतोत्साहित किया गया, जब मंत्रालय का काम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की निगरानी में आ गया था। सिंह संप्रग-1 में विदेश मंत्री थे। हालांकि, उन्हें 2006 के 'तेल के बदले अनाज' घोटाले में नाम आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।

विंस्टन चर्चिल की पंक्ति 'सुबह सोना थी, दोपहर चांदी और शाम शीशा' का उल्लेख करते हुए वह लिखते हैं कि मनमोहन के शासनकाल को इस पंक्ति से बयां किया जा सकता है। नटवर सपाट शब्दों में लिखते हैं कि मनमोहन सिंह की कोई विदेश नीति नहंी थी। उदाहरण के तौर पर मामला तब और बिगड़ गया, जब पूर्व पीएम ने एक पूर्व कैबिनेट मंत्री को विशेष राजनयिक के तौर पर जापान भेज दिया, जबकि टोक्यो में पहले से ही भारत के वरिष्ठ राजदूत मौजूद थे। भारत ने अमेरिका के जासूसी कार्यक्रम के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला। वह लिखते हैं, 'हम उस प्रधानमंत्री से इसके अलावा और क्या अपेक्षा कर सकते हैं, जिसने एक बार जॉर्ज बुश को बताया था कि भारतीय आपको बहुत पसंद करते हैं।' यहां तक कि विदेश नीति के नाम पर उन्होंने अपने पड़ोसी मुल्कों पर भी कभी ध्यान नहीं दिया।

नटवर सिंह ने दावा किया है कि मनमोहन सोनिया गांधी के साथ सहज नहीं थे। इस साल 3 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस में अमेरिका के साथ भारत के परमाणु करार को मनमोहन सिंह की बड़ी उपलब्धि बताया गया। नटवर लिखते हैं कि जॉर्ज बुश के शासनकाल में कोंडालिजा राइस विदेश मंत्री थीं। राइस ने भी परमाणु करार का जिक्र अपनी किताब में किया है। नटवर कहते हैं कि राइस ने अपनी किताब में लिखा है, 'नटवर अड़ा हुआ था। वह समझौता चाहता था, लेकिन प्रधानमंत्री को भरोसा नहंी था कि वह दिल्ली जाकर सबको समझा पाएंगे।'

'मैं अहम फाइलों को 10 जनपथ भेजे जाने की बात को साबित कर सकता हूं। क्या आपको लगाता है कि पुलक चटर्जी सोनिया गांधी के साथ भोजन करने उनके आवास जाते थे?'

-नटवर सिंह, पूर्व विदेश मंत्री

'वाह रे नटवर लाल, कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना।'

-राज बब्बर, कांग्रेस नेता

दो साल की छुट्टी ले लें कांग्रेस अध्यक्ष

कांग्रेस कार्यसमिति के पूर्व सदस्य जगमीत सिंह बरार ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दो साल की छुट्टी ले लेने की सलाह दी है। पंजाब से सांसद रह चुके बरार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के मद्देनजर अगर दोनों छुट्टी ले लेते हैं तो कोई बुराई नहीं है।

बरार ने कहा है कि कांग्रेस के सभी महासचिवों को भी इस्तीफा दे देना चाहिए और पार्टी की कमान नए नेताओं के हाथों में सौंप देनी चाहिए। इस पर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बरार कांग्रेसी होने के नाते यह सब कह रहे हैं। उन्होंने पार्टी को वर्षो दिए हैं। उन्हें विश्वास है कि सोनिया और राहुल थोड़े समय के आराम के बाद वापसी कर सकते हैं।

इस बीच, पार्टी की कमान कुछ नेताओं को दी जा सकती है। बरार ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी सभी नेताओं की है। सिर्फ सोनिया और राहुल को ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

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