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कांग्रेस को आता है सरकार चलाना : सोनिया

77 के आम चुनाव में कांग्रेस के सफाए के दो साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रैली दिल्ली के अजमल खां पार्क में हुई थी। कांग्रेसी दावा करते हैं कि उसी के बाद कांग्रेस की वापसी शुरू हुई। करीब 35 साल बाद रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उसी पार्क में पार्टी के पस्त सूरमाओं में जोश फूंकने पहुंचीं।

By Edited By: Published: Sun, 30 Mar 2014 02:23 PM (IST)Updated: Mon, 31 Mar 2014 10:48 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। 77 के आम चुनाव में कांग्रेस के सफाए के दो साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रैली दिल्ली के अजमल खां पार्क में हुई थी। कांग्रेसी दावा करते हैं कि उसी के बाद कांग्रेस की वापसी शुरू हुई। करीब 35 साल बाद रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उसी पार्क में पार्टी के पस्त सूरमाओं में जोश फूंकने पहुंचीं।

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चुनावी थकान के बावजूद तल्ख तेवरों में सोनिया ने नाम लिए बगैर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा तो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी मैदान छोड़कर भागने का आरोप लगाने से नहीं चूकीं। बोलीं, सरकार चलाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। दिल्ली में सरकार तो बना ली लेकिन बाद में मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए। सोनिया ने साफ कर दिया कि सरकार बनाना और चलाना कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है। लेकिन यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई है। एक ओर कट्टरता, बांटने वाली, भाई-भाई में भेद करने वाली विचारधारा है तो दूसरी ओर कांग्रेस की विचारधारा है जो पूरे समाज को जोड़ने वाली और विपक्षियों से भी सद्भावना रखने वाली है। उन्होंने कहा कि जो बलिदान की बातें करते हैं, उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता। कांग्रेस ने ही देश की गंगा-जमुनी तहजीब को जिंदा रखा है।

इससे पहले असम के लखीमपुर जिले में आयोजित रैली में संप्रग अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा देश में नफरत की राजनीति फैला रही है। उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वे देश भर में बड़ी-बड़ी बातें कर जनता को बहला रहे हैं। लेकिन जब केंद्र में उनकी सरकार थी तो उन्होंने कुछ नहीं किया। बोलीं, संप्रग झूठा वादा नहीं करती, जो भी कहा देश के सामने पूरा किया। 'हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की' का नारा देते हुए कहा कि कांग्रेस इस तरह की राजनीति में विश्वास करती है। उसके नेताओं ने देश के लिए अपना खून बहाया है। आजादी से पहले और उसके बाद विपक्ष का कहीं कोई नामोनिशान नहीं था। अब वे देश को बांटने में लगे हैं।


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