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'कारगिल में हुई देवर की संदिग्ध मौत, अब पति को भेजा जा रहा जबरन'

25 दिसंबर, 2010 को मेरे देवर पी जनार्दन की कारगिल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। देवर की मौत के कारण जानने की कोशिश की गई, तो सेना के कुछ बड़े अधिकारी उनके सैनिक पति सन्मुख राव और मुझे मानसिक तौर पर परेशान कर रहे हैं। अब पति को

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 02 May 2015 02:44 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2015 04:11 PM (IST)

बठिंडा, जागरण संवाददाता। 25 दिसंबर, 2010 को मेरे देवर पी जनार्दन की कारगिल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। देवर की मौत के कारण जानने की कोशिश की गई, तो सेना के कुछ बड़े अधिकारी उनके सैनिक पति सन्मुख राव और मुझे मानसिक तौर पर परेशान कर रहे हैं। अब पति को जबरदस्ती कारगिल भेजा जा रहा है। न जाने पर कोर्ट मार्शल की धमकी दी जा रही है। ये गंभीर आरोप बठिंडा छावनी में तैनात सिपाही सन्मुख राव की पत्नी वसुधा निवासी मैत्री नगर वार्ड नंबर 63 रिसाली भिलाई जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर लगाए।

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वसुधा ने बताया कि उसका देवर पी जनार्दन भी सेना में था। 25 दिसंबर, 2010 को पति सन्मुख अंबाला और देवर जनार्दन कारगिल में तैनात था। देवर की किसी ने वहां हत्या कर दी। सैन्य अधिकारियों ने उन्हें पहले देवर के खुदकशी करने और बाद में बर्फ से गिरकर गोली लगने से मौत होने की बात कही, तो उसे संदेह हुआ। उसने देवर की मौत का असली कारण जानने के लिए आरटीआइ डाली। आरटीआइ में स्पष्ट हुआ कि देवर की मौत एक गोली पीछे से और दो गोली सामने से लगने से हुई है।

वसुधा ने बताया कि सेना ने मामले को एक घटना करार देकर केस बंद कर दिया। उन्होंने पति के साथ उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर केस दोबारा खुलवा दिया और इंसाफ की मांग की। वसुधा ने आरोप लगाया कि फिर संबंधित अधिकारियों ने उसके पति को परेशान करना शुरू कर दिया। बयान दर्ज करने के लिए पति को कारगिल बुलाया जाने लगा, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। इसके बाद पति का तबादला अंबाला से बङ्क्षठडा कर दिया गया। पिछले पांच वर्ष से उसका बार-बार तबादला किया जा रहा है। कई नोटिस निकाले जा चुके हैं और कई बार जुर्माना किया गया। अब फिर पति को कारगिल बुलाया जा रहा है, जबकि वह अंबाला में लिखित बयान दे चुके हैं।

वसुधा ने बठिंडा छावनी के एक बड़े अधिकारी पर आरोप लगाया कि कुछ दिनों से वह उसके पति को प्रताडि़त कर रहा है और क्वार्टर खाली करने का दबाव डाल रहा है। वसुधा ने आरोप लगाया कि उनके पति को बंदी बना लिया गया है। पति का कसूर सिर्फ यही है कि वह अपने भाई के केस में इंसाफ मांग रहा है। वसुधा ने कहा कि उसे इंसाफ नहीं चाहिए, सिर्फ उसके पति की जान बख्श दी जाए।

उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानवाधिकार आयोग व सेना प्रमुख को पत्र लिखकर मांग की है कि उसके परिवार पर तरस कर सेना अधिकारियों से पीछा छुड़वाया जाए। उसने कहा कि अगर पति का कोई नुकसान हुआ, तो जिम्मेवारी संबंधित अधिकारियों की होगी। उसने इसकी शिकायत थाना कैंट में भी दर्ज करवाई है।

उधर, थाना कैंट के प्रभारी ने कहा कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों से बातचीत की है। सन्मुख बिलकुल ठीक है और उसे किसी ने कुछ नहीं कहा। उसकी ड्यूटी के मद्देनजर वह उसकी फोन पर बात नहीं करवा रहे, लेकिन ड्यूटी खत्म होने के बाद वह सही सलामत घर पहुंच जाएगा। अगर ड्यूटी के बाद भी सन्मुख सही सलामत घर न पहुंचा, तो वह मामले की गहराई से जांच करेंगे। वहीं सेना के कमांडिंग अधिकारी नवीन गुलेरिया ने मामले के संबंध में बात करने से इंकार कर दिया।

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